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Darsh Amavasya 2025: कब है दर्श अमावस्या, जानिए इसका माहात्म्य

Darsh Amavasya 2025: पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या के सभी दिन श्राद्ध की रस्मों को करने के लिए शुभ अवसर होते हैं। अमावस्या को अमावस या अमावसी के नाम से भी जाना जाता है।

नई दिल्लीJan 27, 2025 / 08:35 am

Sachin Kumar

दर्श अमावस्या 2025

Darsh Amavasya 2025: सनातन धर्म में दर्श अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस शुभ दिन पर चंद्र देव की पूजा की जाती है। इस बार 29 फरवरी 2025 को होगा। यह अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की अंतिम तिथि को आती है। इस दिन चंद्रमा का आकार पूरी तरह लुप्त हो जाता है और रात आकाश में गहरी होती है। दर्श अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है, विशेषकर पितरों के तर्पण और दान के लिए।

दर्श अमावस्या का माहात्म्य

पितरों का तर्पण: दर्श अमावस्या पितरों को समर्पित होती है। इस दिन गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करके पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। यह दिन पितरों की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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दान और पुण्य: इस दिन दान का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र, तिल और गुड़ का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दिन आध्यात्मिक साधना और दान के लिए उपयुक्त है।
धार्मिक अनुष्ठान: दर्श अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा का भी प्रचलन है। घर के मुख्य देवता को प्रसन्न करने के लिए भोग और दीपदान किया जाता है। पूजा के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना भी शुभ माना गया है।
ध्यान और साधना का समय: इस दिन ध्यान, योग और साधना करना विशेष फलदायी होता है। यह समय मानसिक और आत्मिक शांति के लिए उपयुक्त है। अमावस्या की गहन रात में साधना करने से आत्मा की शुद्धि और ऊर्जा का संचार होता है।
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दर्श अमावस्या पर करें ये काम

स्नान और तर्पण: सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें। अगर नदी तक पहुंचना संभव न हो, तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
पितरों का श्राद्ध: पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करें। यह क्रिया दक्षिण दिशा की ओर मुख करके की जाती है।

दान का महत्व: तिल, गुड़, कंबल, भोजन और अन्य जरूरत की चीजें दान करें। ब्राह्मणों और गरीबों को यथाशक्ति भोजन कराएं।
उपवास: दर्श अमावस्या पर उपवास रखने से जीवन में सकारात्मकता आती है और पापों से मुक्ति मिलती है। दर्श अमावस्या का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह आत्मिक और मानसिक शांति का भी प्रतीक है। यह दिन हमें पितरों की कृपा प्राप्त करने और पुण्य संचय करने का अवसर देता है। इसलिए इसे पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से मनाना चाहिए।
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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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