ऐसे समझें दोनों दिनों की महिमा-
सोमवार, 03 जुलाई 2023 :
यह सावन शुरु होने से ठीक पहले का दिन होने के साथ ही भगवान शिव का दिन यानि सोमवार है, वहीं इस दिन गुरु पूर्णिमा का भी दिन है। ऐसे में आपको बता दें कि भगवान शिव सर्व प्रथम आदि गुरु के रूप में जाने जाते हैं , इन्हीं से योग का जन्म हुआ! वहीं भगवान शिव के आदि गुरु होने के चलते व गुरु पूर्णिमा के पर्व पर सोमवार का योग इस दिन को अति विशेष बना रहा है। ऐसे में इस दिन गुरु की पूजा के रूप में भगवान शिव का पूजन कई मामलों में खास हो जाता है, भगवान शिव वैसे भी आसानी से प्रसन्न होने वाले देव हैं, ऐसे में उन्हीं के विशेष दिन यानि सोमवार को गुरुपूर्णिमा पर उनका पूजन न केवल उन्हें आसानी से प्रसन्न करेगा, बल्कि आपको मनचाहे वरदान को प्राप्त करने में भी मदद करेगा। यहां ये भी समझ लें कि शिव का अर्थ ही है कल्याण करने वाला।
मंगलवार, 04 जुलाई 2023 :
सोमवार को पडने जा रही गुरु पूर्णिमा के ठीक अगले दिन से भगवान शिव का प्रिय माह सावन शुरु होने जा रहा है, यह दिन मंगलवार होगा का और इस दिन मंगलागौरी का व्रत रहेगा। यहां ये भी बता दें कि मंगलागौरी माता पार्वती का ही एक रूप मानी जातीं हैं। और शिवपूजा से पहले माता पार्वती का पूजन जरूरी माना जाता है, क्योंकि माता पार्वती की पूजा से ही भगवान शिव की पूजा पूर्ण मानी जाती है।
ऐसे में गुरुपूर्णिमा पर किए गए शिव पूजन के ठीक अगले दिन सावन में शिव का पूजन काफी खास रहने वाला है। यह मास शिव का प्रिय होने के चलते भगवान शिव यानि भगवान भोलेनाथ या भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए ये समय अति विशेष माना जाता है। ऐसे में शिव की लगातार दूसरे दिन पूजा आपको विशेष फल प्रदान करने में सक्षम होने के साथ ही आपकी मदद भी करेगी, जिसके चलते आपको मनचाहा आशीर्वाद भी भगवान शिव से प्राप्त हो सकता है।
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शाम 4 से 7 के बीच शिव पर चढ़ा दें इनमें से कोई भी एक चीज, केवल 7 दिन में हो जायेगी इच्छा पूरी
सबसे महत्वपूर्ण ये है
आपको बताते चलें कि शिव पूजा में सदैव शिव से पहले देवी की पूजा का विधान है, कारण इससे भगवान शिव आसानी से व तुरंत प्रसन्न होकर भक्त के मन की इच्छा का पूर्ण करते हैं। वहीं इस बार सावन की शुरुआत ही मंगलवार से हो रही है, ऐसे में सावन के पहले ही दिन मंगला गौरी व्रत रहेगा। इस स्थिति में आपके द्वारा सर्वप्रथम देवी मां की पूजा के पश्चात ही भगवान शिव की पूजा करने से शिव के जल्द प्रसन्न होने की स्थिति का भी निर्माण होगा। वहीं ये भी जान लें कि देवी माता पार्वती की पूजा से ही भगवान शिव की पूजा पूर्ण मानी जाती है।