छठ पूजा (Chhath Puja)
हिंदू पंचांग के अनुसार छठ पूजा 2024 की शुरुआत 5 नवंबर मंगलवार को नहाय खाय से होगी। इस चार दिवसीय कठिन व्रत को रखकर माताएं सूर्य देवता, छठी माता की कठोर आराधना करती हैं। अस्ताचल गामी सूर्य और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह व्रत पूरा होता है।
कब है छठ पूजा 2024 (Chhath Puja 2024 Kab Hai)
छठ पूजा महापर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय से होती है। इसके बाद खरना और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य के बाद आखिर में उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा होता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। इस तरह 5 नवंबर से शुरू हुए पर्व का समापन 8 नवंबर 2024 शुक्रवार कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि पर होगा। आइये जानते हैं छठ पूजा के सभी अनुष्ठान की डेट और मुहूर्त… इसे भी पढ़ेः सिंह राशि वालों को कॉन्ट्रैक्ट से लाभ, आज का राशिफल में जानें अपना भविष्य 5 नवंबर 2024, मंगलवार, पहला दिन: नहाय खाय, सुबह 06:34 बजे से शाम 05:46 बजे तक।
6 नवंबर 2024, बुधवार, दूसरा दिन: लोहंडा और खरना, सुबह 06:35 बजे से शाम 05:46 बजे तक।
7 नवंबर 2024, गुरुवार, तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य, सुबह 06:36 बजे से शाम 05:45 बजे तक।
8 नवंबर 2024, शुक्रवार, चौथा दिन: उषा अर्घ्य और पारण, सुबह 06:36 बजे से शाम 05:45 बजे तक।
1. नहाय खाय (Nahay Khay)
पहले दिन नहाय खाय अनुष्ठान होता है। इस दिन श्रद्धालु अपने घरों की साफ सफाई करते हैं और स्नान कर व्रत की तैयारी करते हैं। इसके बाद लौकी की सब्जी, चावल और अरवा चावल का विशेष प्रकार का भोजन तैयार कर खाया जाता है।
2. खरना(Kharna)
दूसरे दिन व्रती खरना करते हैं, इसके तहत दिनभर महिलाएं उपवास रखती हैं और सूर्यास्त के बाद शुद्धता से बनी खीर और रोटी का भोग भगवान को अर्पित करती हैं। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य इस प्रसाद का सेवन करते हैं। यह दिन विशेष रूप से व्रती की शक्ति और संकल्प को बढ़ाने वाला होता है।
3. संध्या अर्घ्य (Astachal Surya Ko Arghya)
तीसरे दिन को संध्या के समय अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके लिए व्रती सूर्यास्त से पहले नदी या तालाब के किनारे जाती हैं, जहां वे पूजा की विशेष थाली में ठेकुआ, फलों और अन्य सामग्री के साथ सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करती हैं। मान्यता है कि इससे सूर्य देव स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का वरदान देते हैं।
4. सुबह अर्घ्य (Udayachal Surya Ko Argya)
छठ पूजा के अंतिम दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके लिए श्रद्धालु सूर्योदय से पहले नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर पूजा करते हैं और इस अवसर पर अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ प्रसाद का वितरण करते हैं। इसे भी पढ़ेः मंगल शनि बनाएंगे महाभयानक षडाष्टक योग, देश दुनिया में आपदा छठ पूजा की विधि (Chhath Puja Vidhi)
छठ पूजा के लिए व्रती पहले से तैयारी किए रहते हैं। इसके लिए छठ पूजा की इस विधि को अपनाते हैं।
1. सबसे पहले सूप में प्रसाद, फल फूल, अगरबत्ती, ठेकुआ आदि रखा जाता है। 2. फिर इन सभी चीजों और नारियल, गन्ने सहित अन्य पूजा सामग्री को बांस की बनी टोकरी में सजाते हैं।
3. इस पूजा में केला, सेब, नारंगी आदि मौसमी फल जरूर शामिल किए जाते हैं। 4. फिर घाट पर पहुंचकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं, उनकी पूजा आराधना करते हैं, फलों आदि को अर्पित करते हैं और छठी मईया के गीत, आरती गाते हैं।
8. सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए दूध और जल का उपयोग किया जाता है।
छठ पूजा का महत्व (Importance of Chhath Puja)
छठ पूजा न केवल धार्मिक
पर्व है, यह उत्तर भारत की सांस्कृतिक धरोहर भी है। इस पर्व के माध्यम से न केवल सूर्य देव की आराधना की जाती है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति भी लोग जागरूक होते हैं। नदी, तालाब और अन्य जल स्रोतों की सफाई होने से उनके संरक्षण में मदद मिलती है।
स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना (Health and prosperity)
मान्यता है छठ पूजा से परिवार में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। छठ पूजा सामाजिकता का भी प्रतीक है, जिसमें परिवार और समुदाय के लोग एकत्रित होते हैं। यह पर्व आपसी प्रेम, एकता और भाईचारे की भावना से उत्सव मनाते हैं।