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Chaturmas 2024: इस वादे के कारण चार महीने के लिए सो जाते हैं भगवान विष्णु, जानें ये 5 वजह

Chaturmas 2024: चातुर्मास का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है, राजा बलि से किए एक वादे के कारण देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने के लिए सो जाते हैं। फिर प्रबोधिनी एकादशी, देवउठनी एकादशी यानी देवोत्थान एकादशी के दिन जागते हैं। आइये जानें वजह (Yoga Nidra from devshayani ekadashi) …

भोपालJul 16, 2024 / 07:42 pm

Pravin Pandey

Chaturmas 2024: इस कारण चार महीने के लिए सो जाते हैं भगवान विष्णु, जानें ये 5 रहस्य

Chaturmas 2024: आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी यानी आषाढ़ी एकादशी कल बुधवार 17 जुलाई को है। यह एकादशी देवशयनी एकादशी, हरिशयनी और पद्मनाभ एकादशी के नाम से भी जानी जाती है। इस दिन से श्रीहरि विष्णु 4 माह के लिए क्षीर सागर में योग निद्रा में चले जाते हैं यानी सो जाते हैं। जानें इसके पीछे वजह …

भगवान विष्णु के सोने की यह है वजह
राजा बलि की कथा

राजा बलि की कथा के अनुसार एक बार यज्ञ के दौरान वहां पहुंचे भगवान वामन ने महाराज बलि से तीन पग भूमि दान में मांगा। दानवीर बलि ने इसका संकल्प कर दिया, जिसके बाद भगवान ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पग में धरती आकाश और पाताल नाप लिया, तीसरा पग रखने के लिए राजा बलि के पास कोई संपत्ति नहीं बची तो उन्होंने अपना सिर आगे बढ़ा दिया और इस तरह राजा बलि ने अपना संकल्प पूरा किया। इसके बाद भगवान वामन ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और वहां निवास करने का आदेश दिया।

साथ ही एक वरदान मांगने के लिए कहा, इस पर राजा बलि ने भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। भगवान को वामनावतार के बाद फिर क्षीरसामगर में लक्ष्मी के पास जाना था लेकिन भगवान वचन में बंध गए और रसातल में बलि के यहां रहने लगे। तब माता लक्ष्मी बलि के यहां पहुंची और रक्षाबंधन के दिन उन्हें भाई बनाकर बलि से वचन लेकर उन्हें मुक्त कराया। हालांकि भगवान बलि को उदास नहीं देखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने आषाढ़ शुक्ल एकादशी से साल के 4 माह के लिए राजा बलि के यहां रहने का वचन दिया। इसलिए चातुर्मास में भगवान क्षीर सागर में सो जाते हैं और पाताल लोक में रहने लगते हैं।

सूर्य का दक्षिणायन होना

उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन देवताओं की रात होती है। दक्षिणायन में सूर्य का प्रकाश कम हो जाता है और दिन छोटे होने लगते हैं। इसलिए तब तक के लिए मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य जब कर्क राशि में प्रवेश करते हैं, तभी दक्षिणायन का प्रारंभ होता है। इसी कारण इस दिन से देवता सो जाते हैं।
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संजीवनी तैयार करते हैं भगवान

इन 4 महीनों के दौरान पृथ्वी की उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है। जितने दिन भगवान विष्णु निद्रा में रहते हैं, उतने दिन उनके अवतार सागर में संजीवनी बूटी तैयार करते हैं ताकि धरती को फिर से उपजाऊ बनाया जा सके।

राक्षस शंखचूर से युद्ध

अन्य कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु का शंखचूर नाम के राक्षस से भयंकर युद्ध हुआ। उस युद्ध में राक्षस मारा गया, लेकिन इस युद्ध में भगवान विष्णु बहुत थक गए थे। इसलिए सृष्टि के पालन का काम उन्होंने भगवान शिव को सौंप दिया और खुद योगनिद्रा में चले गए। तभी से इन चार महीने भगवान शिव ही सृष्टि के पालन का काम देखते हैं।
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प्रलय

एक अन्य मान्यता के अनुसार आषाढ़ से चार महीना बारिश का मौसम रहता है। इस दौरान दुनिया में वार्षिक प्रलय जैसा हाल होता है। प्रकृति खुद को नए सिरे से तैयार करती है। सभी कुछ जलमग्न होता है। ऐसे में जीवन का पुन: सजृन होता है। सृजन काल के 4 माह बाद श्रीहरि विष्णुजी पुन: पालनहार की भूमिका में आ जाते हैं। इसलिए तब तक के लिए वे सो जाते हैं।

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