मान्यता है कि ऐसा करने से देवी मां जल्द प्रसन्न होकर अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। कहा जाता है कि सावन शुक्रवार को मंत्रों का जाप- बुद्धि और ज्ञान को मजबूत करता है। वहीं इस दिन यह लक्ष्मी स्त्रोत मन को शांत करने के साथ ही जातक के सोचने-समझने की शक्ति में वृद्धि करता है।
साथ ही सावन व सावन के अधिक मास में शुक्रवार को नियमित रूप से लक्ष्मी स्त्रोत का जाप देवी मां की विशेष कृपा प्रदान करता है।
सावन शुक्रवार में सुख-समृद्धि, धन-वैभव के उपाय-
– शुक्रवार को शिव मंदिर जाकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करें। इस बात का ध्यान रखें कि जलाभिषेक तांबे के लोटे में जल भर करके एक धारा में धीरे-धीरे करें। इसके साथ ही शिव पंचाक्षर मंत्र – ऊं नम: शिवाय: का विधिवत पूजा करने के साथ जाप करें।
– शुक्रवार को शिवजी के अलावा मां लक्ष्मी की भी पूजा करें। इसके साथ ही ऊॅं श्रीं ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊॅं महालक्ष्म्यै नम: मंत्र का जाप करें।
– सावन में हर शुक्रवार भगवान शिव को लाल रंग के फूल चढाएंं। इसके साथ ही ऊँ नम: शिवाय: का जाप करें।
– देवी लक्ष्मी को गुलाब अति प्रिय है। अत: देवी लक्ष्मी के चरणों में शुक्रवार के दिन गुलाब या फिर कमल का फूल फूल चढाए, माना जाता है कि ऐसा करने से पैसों की तंगी दूर होती है।
– सावन शुक्रवार को परिवार के सभी सदस्य अपने माथे पर शुद्ध केसर का तिलक गाय के घी या दुध में मिलाकर लगाना चाहिए, मान्यता के अनुसार ऐसा करने से व्यापार या अन्य आय के स्रोतों में अचानक धन लाभ में वृद्धि देखने को मिलती है।
– गृहलक्ष्मी को सावन शुक्रवार के दिन इन्द्र देव द्वारा रचित महालक्ष्मी स्तोत्र का 11 बार पाठ करना चाहिए।
– सावन शुक्रवार को पूरे परिवार को एक साथ माता लक्ष्मी की श्रीसूक्त का पाठ करना चाहिए।
– सावन शुक्रवार को पीपल वृक्ष के नीचे गृहलक्ष्मी को शाम के समय चंदन की सुगन्धित धूप व गाय के घी का दीपक आटे लगाना चाहिए।
– सावन शुक्रवार को पति पत्नी एक साथ केसर मिले दूध से भगवान विष्णु औरं माता लक्ष्मी का अभिषेक करें।
मान्यता है कि सावन शुक्रवार को मंत्रों का जाप सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि करता है। प्यार और रिश्तों की रक्षा के लिए भी सावन शुक्रवार को लक्ष्मी स्त्रोत का जाप करना चाहिए।
सावन शुक्रवार को लक्ष्मी स्त्रोत का जाप सुंदरता और आकर्षण में वृद्धि करता है। इसके साथ ही लक्ष्मी स्त्रोत भावनात्मक रिश्ते को भी मजबूती प्रदान करता है।
लक्ष्मी स्त्रोत: जानें मां लक्ष्मी की महिमा-
पद्मालयां पद्मकरां पद्मपत्रनिभेक्षणाम्
वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥
त्वं सिद्धिस्त्वं स्वधा स्वाहा सुधा त्वं लोकपावनी
सन्धया रात्रि: प्रभा भूतिर्मेधा श्रद्धा सरस्वती॥
यज्ञविद्या महाविद्या गुह्यविद्या च शोभने
आत्मविद्या च देवि त्वं विमुक्तिफलदायिनी॥
आन्वीक्षिकी त्रयीवार्ता दण्डनीतिस्त्वमेव च
सौम्यासौम्येर्जगद्रूपैस्त्वयैतद्देवि पूरितम्॥
का त्वन्या त्वमृते देवि सर्वयज्ञमयं वपु:
अध्यास्ते देवदेवस्य योगिचिन्त्यं गदाभृत:॥
त्वया देवि परित्यक्तं सकलं भुवनत्रयम्
विनष्टप्रायमभवत्त्वयेदानीं समेधितम्॥
दारा: पुत्रास्तथाऽऽगारं सुहृद्धान्यधनादिकम्
भवत्येतन्महाभागे नित्यं त्वद्वीक्षणान्नृणाम्॥
शरीरारोग्यमैश्वर्यमरिपक्षक्षय: सुखम्
देवि त्वदृष्टिदृष्टानां पुरुषाणां न दुर्लभम्॥
त्वमम्बा सर्वभूतानां देवदेवो हरि: पिता
त्वयैतद्विष्णुना चाम्ब जगद्वयाप्तं चराचरम्॥
मन:कोशस्तथा गोष्ठं मा गृहं मा परिच्छदम्
मा शरीरं कलत्रं च त्यजेथा: सर्वपावनि॥
मा पुत्रान्मा सुहृद्वर्गान्मा पशून्मा विभूषणम्
त्यजेथा मम देवस्य विष्णोर्वक्ष:स्थलाश्रये॥
सत्त्वेन सत्यशौचाभ्यां तथा शीलादिभिर्गुणै:
त्यज्यन्ते ते नरा: सद्य: सन्त्यक्ता ये त्वयाऽमले॥
त्वयाऽवलोकिता: सद्य: शीलाद्यैरखिलैर्गुणै:
कुलैश्वर्यैश्च युज्यन्ते पुरुषा निर्गुणा अपि॥
सश्लाघ्य: सगुणी धन्य: स कुलीन: स बुद्धिमान्
स शूर: सचविक्रान्तो यस्त्वया देवि वीक्षित:॥
सद्योवैगुण्यमायान्ति शीलाद्या: सकला गुणा:
पराङ्गमुखी जगद्धात्री यस्य त्वं विष्णुवल्लभे॥
न ते वर्णयितुं शक्तागुणञ्जिह्वाऽपि वेधसः
प्रसीद देवि पद्माक्षि माऽस्मांस्त्याक्षीः कदाचन॥
आर्त हंत्रि नमस्तुभ्यं, समृद्धं कुरु मे सदा
नमो नमस्ते महांमाय, श्री पीठे सुर पूजिते
शंख चक्र गदा हस्ते, महां लक्ष्मी नमोस्तुते
ऊॅं श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।।
– ऊॅं श्रीं, ऊॅं ह्रीं श्रीं, ऊॅं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वरायरू नम: ।।