कन्या पूजन
वेद शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में कन्या पूजन करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं खत्म हो जाती है, माँ दुर्गा भी प्रसन्न होकर भक्त की मनोकामना पूरी कर देती है। शास्त्र कहते हैं कि नवरात्रि में छोटी कन्या जो अव्यक्त ऊर्जा की प्रतीक होती है की पूजा करने से सारे ब्रह्माण्ड की देवशक्तियों का आशीर्वाद मिलने लगता है। धर्म-ग्रंथ – रुद्र-यामल में नवरात्र में देवी के स्वरूप के पूजन के लिये कन्याओं की आयु का विशेष निर्धारण कर रखा।
नवरात्रि में इस उम्र की कन्या का ही करें पूजन
चैत्र नवरात्रि के समापन पर अष्टमी एवं नवमी तिथि को माता दुर्गा का विधि विधान से पूजन करने के बाद ऐसी कन्याओं को ही पूजन कर भोजन करावें, जिनकी उम्र 2 साल से लेकर 7 साल तक की ही हो। उक्त कन्याओं को केसर युक्त खीर, हलवा, पूड़ी के साथ बिना लहसून, प्याज से बनी आलु या कद्दू की सब्जी ही भोजन में खिलाएं।
कन्याओं को यह दान करें
स्वादिष्ट भोजन कराने के बाद छोटी छोटी देवी स्वरूप कन्याओं के पैरों को लाल मोहर लगाकर पूजन करने के बाद- सफेद रूमाल, ऋतुफल, खिलौने या अन्य उनकी रूची का देने के बाद कुछ दक्षिणा भी अवश्य देकर उनके पैर पड़कर आशीर्वाद लें। माता रानी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देंगी।
इस नवरात्रि में संभंव हो तो कन्या भोज के स्थान पर करें यह काम
नवरात्रि के अंतिम दिन श्रद्धालु मनोकामना पूर्ति और माता की कृपा पाने के लिए छोटी छोटी कन्याओं को भोजन कराकर कुछ न कुछ भेट भी करते हैं। अगर इस नवरात्रि आप कन्या भोज कराने जा रहे हैं तो उसके स्थान पर अगर आपके आस-पास कोई कोरोना वायरस के कारण आपात काल की स्थिति में भूकें दिखें तो उन्हें ही भोजन करावें। ऐसा करने से माता आपसे अधिक प्रसन्न होगी और सभी मनोकामना भी पूरी करेंगी।
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