इस नवरात्र के शुरुआती समय मे द्वि-ग्रह की युति रहेगी। वहीं मकर राशि में देवसेनापति मंगल-न्याय के देवता शनि, कुंभ राशि में देवगुरु बृहस्पति-दैत्यगुरु शुक्र व मीन राशि में सूर्य-बुध रहते हुए बुधादित्य योग का निर्माण करेंगे। जबकि राक्षस ग्रहों में राहु वृषभ व केतु वृश्चिक में गोचर करेंगे।
लक्ष्मी प्राप्ति के योग
ज्योतिष के जानकार एके शुक्ला के अनुसार चैत्र नवरात्र 2022 में कुछ विशेष योग बनते दिख रहे है। इनमें सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि योग लक्ष्मी प्राप्ति योग का निर्माण करेंगे। जिससे कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलेगी। इसके अलावा इस नवरात्र मे देवी मा दुर्गा का वाहन अश्व रहेगा।
देवी भागवत के अनुसार
शशिसूर्ये गजारुढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकीत्र्तिता।।
घट स्थापना या कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त
यूं तो चैत्र नवरात्र पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त शनिवार,02 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक है। लेकिन वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि चौघड़िया के अनुसार प्रात:काल का चौघड़िया रहेगा और चित्रा नक्षत्र वेद्धित योग होने के कारण सुबह 8:30 बजे के बाद ही घट स्थापना करनी सर्वोत्तम रहेगी। इसके अलावा वेधिति योग आरंभ होने से पहले 07:53 से 08:30 तक भी घटस्थापना कर सकते हैं। वहीं सूर्योदय के बाद 06:22 से 06:56 बजे तक भी घटस्थापना करना उचित रहेगा।
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के लिए ब्रह्ममुहूर्त में स्नानादि के पश्चात साफ वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात मंदिर की साफ-सफाई कर लाल रंग का कपड़े बिछाकर उसके ऊपर अक्षत रखें। अब इसके ऊपर जौ रखने के बाद जल से भरा कलश इसके ऊपर स्थापित करें और फिर कलश पर स्वास्तिक का निशान बनाएं।