दरअसल जब कभी आपके समक्ष शिव पूजन को लेकर समय की दुविधा हो तो इस संबंध में जानकारों का कहना है कि यदि सावन सोमवार की सुबह आप पूजा नहीं कर सके हैं, तो भी आप कुछ अन्य उपायों के माध्यम से भी भगवान शिव की कृपा को प्राप्त कर सकतेे हैं।
पंडित सुनील शर्मा का इस संबंध मे कहना है कि यदि समय की कमी के चलते आप सुबह भगवान शंकर की पूजा नहीं कर पाए हैं। तो आप शाम के समय-खास तौर से प्रदोष काल में- भी मन में शुद्धता रखते हुए पूरे भक्ति भाव से स्नान के बाद मन में भगवान शंकर के प्रति विश्वास और श्रद्धा रखते हुए भगवान शिव की पूजा को कर सकते हैं।उनके अनुसार ऐसा करने से भगवान शिव का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शाम को की जाने वाली इस पूजा के दौरान आप शिवलिंग में बैल पत्र, धतुरा आदि चढ़ाकर शिव के पंचाक्षरी मंत्र – नम: शिवाय ओम नम: शिवाय- का दो माला से पांच माला तक जाप कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त…
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– आप शिव चालीसा का पाठ करने के अलावा रुद्राभिषेक भी कर सकते हैं।
– इस समय आपको बस इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि शाम के समय शिव साधना करने के दौरान पूजा के समय आपका मुंख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
– भगवान शिव की उपासना यदि आप रात्रि में करते हैं तो अपना मुंह उत्तर दिशा की ओर रखें।
यह भी ध्यान रहे कि सावन में रात्रि के समय जमीन पर सोना उचित माना गया है।
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कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष
वहीं यह भी मान्यता है कि कुंवारी कन्याओं को वर प्राप्ति के लिए अथवा विवाहित महिलाओं को जीवन में सुख सौभाग्य की पाने के लिए सावन के प्रथम सोमवार से शुरु करके कुल नौ या सोलह सोमवार व्रत का पालन करना विशेष महत्व रखता है। यहां ये भी ध्यान रखें कि अपने आखिरी व्रत यानि नौवें या सोलहवें सोमवार को व्रत का उद्यापन अवश्य करना चाहिए। वहीं यदि किसी स्त्री के लिए नौ या सोलह सोमवार व्रत रखना संभव ना हों, तो वह केवल सावन के चार सोमवार के भी व्रत रख सकती है।