शास्त्रों में उल्लेख आता है कि भगवान शिव के पूजन में बेलपत्र शिवजी को अर्पित की जाने वाली सबसे प्रिय वस्तु हैं, शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं महादेव । मान्यता है कि शिव की उपासना बिना बेलपत्र के पूरी नहीं होती, अगर आप भी देवों के देव महादेव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो बेलपत्र के महत्व को समझना बेहद ज़रूरी है ।
बेलपत्र का महत्व
बेल के पेड़ की पत्तियों को बेलपत्र कहते हैं, बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं लेकिन इन्हें एक ही पत्ति मानते हैं, भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र प्रयोग होते हैं और इनके बिना शिव की उपासना पूरी नहीं मानी जाती ।
जानकारों की मानें तो जब भी महादेव को बेलपत्र अर्पित करें तो इन बातों का ध्यान ज़रूर रखे । क्योंकि गलत तरीके से अर्पित किए हुए बेलपत्र शिव को अप्रसन्न भी करते हैं, एक बेलपत्र में तीन पत्तियां होनी चाहिए. पत्तियां कटी या टूटी हुई न हों और उनमें कोई छेद भी नहीं होना चाहिए. भगवान शिव को बेलपत्र चिकनी ओर से नहीं अर्पित करें, एक ही बेलपत्र को जल से धोकर बार-बार भी चढ़ा सकते हैं ।
बेलपत्र का केवल दैवीय प्रयोग ही नहीं है, इससे अनेक रोग भी ठीक हो जाते, यह तमाम औषधियों में भी काम आता है, इसके प्रयोग से आपकी सेहत से जुड़ी तमाम समस्याएं चुटकियों में हल होती हैं । बेलपत्र का रस आंख में डालने से आंखों की ज्योति बढ़ती है, बेलपत्र का काढ़ा शहद में मिलाकर पीने से खांसी से राहत मिलती है, सुबह 11 बेलपत्रों का रस पीने से पुराना सिरदर्द भी ठीक हो जाता है ।