यहां हुआ था श्रीराम व भरत का मिलाप
चित्रकूट स्थित भगवान कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर भरत मिलाप मंदिर स्थित है। यूपी(उत्तर प्रदेश)-एमपी(मध्य प्रदेश) के बीच पड़ने वाले भगवान कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर स्थित इस स्थान को लेकर मान्यता है कि श्री राम व भरत का मिलाप हुआ था।
खास बात यह कि यहां के पत्थर भी पिघले हुए से लगते हैं जैसा कि श्री रामचरितमानस के अयोध्या कांड में गोस्वामी तुलसीदास ने उल्लेख किया है कि” द्रवहिं बचन सुनि कुलिस पषाना. पुरजन प्रेमु न जाइ बखाना : बीच बास करि जमुनहीं आए. निरखि नीरू लोचन जल छाए :” अर्थात जब भरत श्री राम को मनाने चित्रकूट जा रहे थे तो मार्ग के पत्थर भी पिघल गए। सहसा वैसा ही दृश्य दिखाई पड़ता है इस स्थान पर और पिघले हुए से लगते हैं यहां के पत्थर…
श्रीराम और उनके परिवार के पैरों के 1 निशान भारत मिलाप मंदिर में देखे जा सकते हैं। यह सुंदर और पवित्र कामदगिरि पहाड़ी की पृष्ठभूमि में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस पहाड़ी की परिक्रमा करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
इस मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय यहां होने वाले वार्षिक उत्सव के दौरान होता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। भरत मिलाप मंदिर परिसर में श्रीराम,माता जानकी, लक्ष्मण और भरत के सुंदर विग्रह देखे जा सकते हैं।
इसमें श्रीराम द्वारा भरत को पादुकाएं देते हुए, श्रीराम द्वारा भरत को गले लगाते हुए, लक्ष्मण द्वारा शत्रुघ्न से मिलते हुए और माता जानकी कौशल्या- से मिलते हुए चित्रित है। यहां तुलसीदासजी का विग्रह भी है।
सबसे चौंकाने व दंग कर देने वाली बात जो इस भरत मिलाप मंदिर में है तो वह है इस मंदिर में बने हुए चरण चिन्ह। यहां पत्थरों पर कोई चरण चिन्ह वो भी मनुष्य के पैरों के, बिल्कुल पिघले हुए पत्थरों पर मौजूद हैं ये चरण चिन्ह। कहा जाता है कि यहीं पर श्री राम व भरत का मिलाप हुआ और उस भावपूर्ण दृश्य को देख तीनों लोक द्रवित हो उठे जिसके चलते पत्थर भी पिघल गए और उस पर चरण चिन्ह भी ठीक वैसे ही बने हैं।
कैसे पहुंचें यहां…
यहां पहुंचने के लिए सतना सबसे निकटतम शहर है। यहां से टैक्सी द्वारा आया जा सकता है। इसके अलावा चित्रकूटधाम कर्वी रेलवे स्टेशन से भी जुड़ा है। वहीं बमरौली हवाई अड्डे से भी टैक्सी से यहां पहुंचा जा सकता है।