ईश्वर को निराकार ब्रह्म भी कहा जाता हैं लेकिन उसके निराकार रूप को कोई नहीं देख सकता इसलिए साकार रूप में ईश्वर की मूर्तिया मंदिरों में स्थापित की जाती हैं । जिससे ईश्वर में मनुष्य की आस्था और श्रद्धा विश्वास बना रहे । आपने सूना या देखा ही होगा की प्रत्येक मंदिरों में सभी भगवानों की मूर्तियां पूर्ण आकार लिए ही स्थापित हैं, लेकिन एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर भी हैं जिसमें सदियों से विराजमान भगवान की मूर्ति आज भी अधूरी ही स्थापित हैं, कहा जाता हैं कि इस मंदिर की इन अधूरी मूर्तियों के दर्शन मात्र से मनुष्य की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं ।
यहां हैं अधूरी मूर्तियों का मंदिर
उड़ीसा राज्य के पुरी में स्थित विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर जिसमें भगवान श्री जगन्नाथ जी, श्री बलराम जी एवं देवी सुभद्रा जी की अधूरी मूर्तिया स्थापित हैं । पुराणों में पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है, जगन्नाथ मंदिर की महिमा के बारे ब्रह्म और स्कंद पुराण में कथा आती है कि पुरी में भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था, वे यहां सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए, सबर जनजाति के देवता होने के कारण भगवान जगन्नाथ का रूप कबीलाई देवताओं की तरह ही है । जाने कि आखिर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्ति अधूरी क्यों रह गई ।
इसलिए रह गई भगवान की मूर्ति अधूरी
शास्त्रों की कथानुसार जब महान शिल्पकार देव विश्वकर्मा जी भगवान जगन्नाथ जी, बलराम जी और देवी सुभद्रा जी मूर्ति बना रहे थे तब वहां के राजा के सामने एक शर्त रखी कि वह दरवाज़ा बंद करके ही मूर्तियों का निर्माण करेंगे, और जब तक मूर्तियां पूरी नहीं बन जाती स्वमं राजा या अन्य कोई भी दरवाज़ा नहीं खोलेगा । अगर किसी ने मूर्ति बनने से पूर्व ही दरवाज़ा खोला तो वह मूर्ति बनाना छोड़कर वहां से तुरंत ही चले जायेंगे ।
एक दिन बंद दरवाज़ा के अंदर मूर्ति निर्माण का काम हो रहा है या नहीं यह जानने के लिए राजा रोज़ दरवाज़ा के बहार खड़े होकर मूर्ति बनने की आवाज़ सुना करते थे । एक दिन राजा को आवाज़ नहीं सुनाई दी, ऐसे में राजा को लगा कि विश्वकर्मा जी काम छोड़कर चले गए, और राजा ने दरवाजे खोल दिए राजा के द्वारा दरवाजे खोले जाने पर, देव विश्वकर्मा जी अपनी शर्त के अनुसार वहां से तुरंत ही ग़ायब हो गए, और भगवान श्री जगन्नाथ, श्री बलभद्र और देवी सुभद्रा जी की मूर्तियां अधूरी ही रह गई, और उस दिन से लेकर आज तक भी पुरी के जगन्नाथ मंदिर की ये तीनों मूर्तियां अधूरी हैं । कहा जाता हैं कि इन अधूरी मूर्तियों के दर्शन मात्र से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं ।