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मां बगलामुखी चालीसा का पाठ, जो शत्रुओं से रक्षा के साथ ही भक्त की इच्छाओं की भी पूर्ति करता है

– बगलामुखी-चालीसा हिंदी में यहां पढ़ें

Jul 06, 2023 / 04:30 pm

दीपेश तिवारी

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दस महाविद्याओं में मां बगलामुखी जी आठवीं महाविद्या हैं। इनकी उपासना शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में सफलता के लिए की जाती है। इनकी उपासना से जहां एक ओर शत्रुओं का नाश होता है तो वहीं दूसरी ओर इनकी उपासना जातक के जीवन को निष्कंटक बनाने का काम करती है। देवी की पूजा को लेकर जहां कुछ जानकारों का मत है कि देवी की पूजा मंगलवार, बुधवार व शनिवार के दिन विशेष मानी जाती है, वहीं ये भी मान्यता है कि किसी सामान्य कार्य के लिए 10000 और असाध्य दिखने वाले कार्य के लिए माई के एक लाख मंत्रों का जाप करना उचित माना जाता है। इसके अतिरिक्त बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ भी जरूर करना चाहिए।

बगलामुखी मंत्र
ऊॅं ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ऊॅं नम:।

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मान्यता के अनुसार इस मंत्र के दौरान मधु, शर्करायुक्त तिलों से होम करने पर वशीकरण होता है। वहीं तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वेषण होता है। जबकि हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का नाश होता है।

भय नाशक मंत्र
अगर आप किसी भी व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति से डरते हैं और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो ऐसी स्थिति में देवी के भय नाशक मंत्र का जाप विशेष माना जाता है।
– ऊॅं ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन

इस दौरान पीले रंग के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें। पुष्प, अक्षत, धूप-दीप से पूजन करें। रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जाप करें। वहीं अपना मुख दक्षिण दिशा की ओर रखें।

इसके साथ ही ये भी माना जाता है कि व्यष्टि रूप में शत्रुओं को नष्ट करने की इच्छा रखने वाली शक्ति ही बगला है। पितांबराविद्या के नाम से विख्यात बगलामुखी की साधना प्राय: शत्रु के भय से मुक्ति और वाकसिद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है। इनकी उपासना में हल्दी की माला, पीले फूल और पीले वस्त्रों का विधान है। इनका द्विभुज चित्रण अधिक आम है और सौम्या के रूप में वर्णित हैं।

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माई के अन्य मंत्र-
शत्रु नाशक मंत्र
यदि शत्रुओं ने आपका जीना मुश्किल कर रखा हो, या कोर्ट-कचहरी, पुलिस के चक् कर से आप तंग हो गए हों, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रहे हों तो देवी के शत्रु नाशक मंत्र का जाप उचित माना गया है।

– ऊॅं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्लीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु

बगलामुखी देवी को नारियल काले वस्त्र में लपेटकर इस दौरान अर्पित करें। गुग्गल की धूनी मूर्ति या चित्र के सम्मुख जलाएं। मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से 5 माला करें। मंत्र जाप के समय अपने मुख को पश्चिम की ओररखें।

सुरक्षा कवच का मंत्र-
सब ओर से रक्षा के लिए हर रोज इस मंत्र का जाप करना चाहिए माना जाता है कि ऐसा करने से आपको त्रिलोक में कोई हानि नहीं पहुंचा सकता।

– ऊॅं हां हां हां ह्लीं बङ्का कवचाय हुम

इस दौरान देवी मां को पान, मिठाई, फल सहित पंच मेवा अर्पित करना चाहिए। छोटी-छोटी कन्याओं को प्रसाद व दक्षिणा भी दें। मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से 1 माला का करें। मंत्र जाप के समय अपने मुख को पूर्व दिशा की ओर रखें।

36 अक्षरों का बगलामुखी महामंत्र-
– ऊँ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिह्वा कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहाÓ
इस मंत्र का जाप हल्दी की माला पर करना चाहिए।

वहीं मान्यता के अनुसार जो भी भक्त माता बगलामुखी की चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ दोनों संध्याओं में करते है देवी मां उन भक्तों की समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने के साथ ही उनके शत्रुओं को भी नाश कर अपने भक्त की रक्षा करती हैं।

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ऐसे समझें बगलामुखी माता की चालीसा-
।। अथ श्री बगलामुखी चालीसा ।।
1- नमो महाविद्या बरदा , बगलामुखी दयाल। स्तम्भन क्षण में करे , सुमरित अरिकुल काल।।
2- नमो नमो पीताम्बरा भवानी , बगलामुखी नमो कल्याणी। भक्त वत्सला शत्रु नशानी , नमो महाविद्या वरदानी।।
3- अमृत सागर बीच तुम्हारा, रत्न जडि़त मणि मंडित प्यारा। स्वर्ण सिंहासन पर आसीना , पीताम्बर अति दिव्य नवीना।।
4- स्वर्णभूषण अति सुन्दर धारे, सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे। तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, धारे मुद्गर पाश कराला।।
5- भैरव करे सदा सेवकाई, सिद्ध काम सब विघ्न नसाई। तुम हताश का निपट सहारा, करे अकिंचन अरिकल धारा।।
6- तुम काली तारा भुवनेशी, त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी। छिन्नभाल धूमा मातंगी, गायत्री तुम बगला रंगी।।
7- सकल शक्तियां तुम में साजे, ह्रीं बीज के बीज बिराजे। दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, मारण वशीकरण सम्मोहन।।
8- दुष्टोच्चाटन कारक माता, अरि जिव्हा कीलक सघाता । साधक के विपति की त्राता, नमो महामाया प्रख्याता।।
9- मुद्गर शिला लिए अति भारी, प्रेतासन पर किए सवारी। तीन लोक दस दिशा भवानी, बिचरहु तुम हित कल्यानी।।
10- अरि अरिष्ट सोचे जो जन को, बुद्धि नाशकर कीलक तन को। हाथ पांव बांधहु तुम ताके, हनहु जीभ बिच मुद्गर बाके।।
11- चोरों का जब संकट आवे, रण में रिपुओं से घिर जावे। अनल अनिल बिप्लव घहरावे, वाद-विवाद न निर्णय पावे।।
12- मूठ आदि अभिचारण संकट, राजभीति आपत्ति सन्निकट। ध्यान करत सब कष्ट नसावे, भूत प्रेत न बाधा आवे।।
13- सुमरित राजद्वार बंध जावे, सभा बीच स्तम्भवन छावे। नाग सर्प ब्रर्चिश्रकादि भयंकर, खल विहंग भागहिं सब सत्वर।।
14- सर्व रोग की नाशन हारी, अरिकुल मूलच्चाटन कारी। स्त्री पुरुष राज सम्मोहक, नमो नमो पीताम्बर सोहक।।
15- तुमको सदा कुबेर मनावे, श्री समृद्धि सुयश नित गावें। शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता, दु:ख दारिद्र विनाशक माता।।
16- यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता , शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता। पीताम्बरा नमो कल्याणी, नमो माता बगला महारानी ।।
17- जो तुमको सुमरै चितलाई, योग क्षेम से करो सहाई । आपत्ति जन की तुरत निवारो, आधि व्याधि संकट सब टारो।।
18- पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, अर्थ न आखर करहूं निहोरी। मैं कुपुत्र अति निवल उपाया, हाथ जोड़ शरणागत आया।।
19- जग में केवल तुम्हीं सहारा, सारे संकट करहुं निवारा। नमो महादेवी हे माता, पीताम्बरा नमो सुखदाता।।
20- सोम्य रूप धर बनती माता, सुख सम्पत्ति सुयश की दाता। रोद्र रूप धर शत्रु संहारो, अरि जिव्हा में मुद्गर मारो।।
21- नमो महाविधा आगारा, आदि शक्ति सुन्दरी आपारा। अरि भंजक विपत्ति की त्राता, दया करो पीताम्बरी माता।।
22- रिद्धि सिद्धि दाता तुम्हीं, अरि समूल कुल काल। मेरी सब बाधा हरो, माँ बगले तत्काल।।

https://youtu.be/qx4uPJ2ufas

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