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Baba Neem Karoli: हर मन्नत पूरी कर देंगे नीम करौली बाबा, यहां पढ़ें बाबा की विनय चालीसा

Baba Neem Karoli: नीम करोली बाबा के भक्तों ने उनकी प्रार्थना के लिए गीत लिखा है, यह आरती बाबा को प्रसन्न करती है और वो हर मन्नत पूरी कर देते हैं। नीम करोली बाबा के मंत्र और विनय चालीसा को पढ़ने से धन संकट दूर होता है और मनोकामना की पूर्ति होती है, कोई भी दुख नहीं रहता है (Baba Neem Karoli vinay chalisa) ।

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Neem Karoli Baba Mantra: हर मन्नत पूरी कर देंगे नीम करौली बाबा, यहां पढ़ें बाबा की विनय चालीसा

Baba Neem Karoli vinay chalisa: नीम करोली बाबा के मंत्र और प्रार्थना गीत विनय चालीसा पढ़ने से आपकी हर इच्छा पूरी होती है। इससे धन संकट दूर होता है और आपका दुख दूर होता है। आइये पढ़ते हैं बाबा नीम करौरी के अचूक मंत्र और विनय चालीसा…

नीम करोली बाबा इच्छापूर्ति मंत्र (Neem Karoli Baba Mantra)


मैं हूं बुद्धि मलीन अति श्रद्धा भक्ति विहीन।
करू विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दिन।
कृपा सिंधु गुरूदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार।
मैं हूं बुद्धि मलीन अति, श्रद्धा भक्ति विहीन ।
करूं विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दीन।।

चौपाई

जय जय नीम करोली बाबा , कृपा करहु आवे सद्भावा।।
कैसे मैं तव स्तुति बखानूं । नाम ग्राम कछु मैं नही जानूं।।
जापे कृपा दृष्टि तुम करहुं। रोग शोक दुख दारिद हरहुं।।

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बाबा नीम करौरी विनय चालीसा

तुम्हरे रूप लोग नहीं जाने। जापे कृपा करहुं सोई भाने।।
करि दे अरपन सब तन मन धन । पावे सुख आलौकिक सोई जन।।
दरस परस प्रभु जो तव करई। सुख संपत्ति तिनके घर भरई।।
जै जै संत भक्त सुखदायक। रिद्धि सिद्धि सब संपत्ति दायक।।

तुम ही विष्णु राम श्रीकृष्ण। विचरत पूर्ण कारन हित तृष्णा।।
जै जै जै जै श्री भगवंता। तुम हो साक्षात भगवंता।।
कहीं विभीषण ने जो वानी। परम सत्य करि अब मैं मानीं।।
बिनु हरि कृपा मिलहिं नहीं संता। सो करि कृपा करहिं दुःख अंता।।
सोई भरोस मेरे उर आयो । जा दिन प्रभु दर्शन मैं पायो।।

जो सुमिरै तुमको उर माहीं । ताकी विपत्ति नष्ट ह्वे जाईं।।
जय जय जय गुरुदेव हमारे। सबहिं भांति हम भये तिहारे।।
हम पर कृपा शीघ्र अब करहुं। परम शांति दे दुख सब हरहुं।।
रोक शोक दुःख सब मिट जावे। जपे राम रामहि को ध्यावे।।
जा विधि होइ परम कल्याना । सोई विधि आपु देहुं वारदाना।।

सबहि भांति हरि ही को पूजे। राग द्वेष द्वन्दन सो जूझे।।
करें सदा संतन कि सेवा। तुम सब विधि सब लायक देवा।।
सब कुछ दे हमको निस्तारो । भवसागर से पार उतारो।।
मैं प्रभु शरण तिहारी आयो। सब पुण्यन को फल है पायो।।
जय जय जय गुरु देव तुम्हारी। बार बार जाऊ बलिहारी।।

सर्वत्र सदा घर घर की जानो । रखो सुखों ही नित खानों।।
भेष वस्त्र हैं, सदा ऐसे। जाने नहीं कोई साधु जैसे।।
ऐसी है प्रभु रहनी तुम्हारी । वाणी कहो रहस्यमय भारी।।
नास्तिक हूं आस्तिक ह्वे जाए। जब स्वामी चेटक दिखलावे।।
सब ही धरमन के अनुनायी। तुम्हे मनावे शीश झुकाई ।।

नहीं कोउ स्वारथ्य नहीं कोई इच्छा। वितरण कर देउ भक्तन भिक्षा।।
केहि विधि प्रभु मैं तुम्हें मनाऊं। जासो कृपा प्रसाद तव पाऊं।।
साधु सुजन के तुम रखवारे। भक्तन के हो सदा सहारे।।
दुष्टऊ शरण आनी जब परई । पूरण इच्छा उनकी करई।।
यह संतन करि सहज सुभाउ। सुनि आश्चर्य करई जनि काउ।।

ऐसी करहु आप दया।निर्मल हो जाए मन और काया।।
धर्म कर्म में रुचि हो जावे। जो जन नित तव स्तुति गावे।।
आवे सदगुन तापे भारी। सुख संपत्ति सोई पावे सारी।।
होइ तासु सब पूरण कामा। अंत समय पावे विश्रामा।।
चारी पदारथ है, जग माही। तव कृपा प्रसाद कछु दुर्लभ नाहीं।।

त्राहि त्राहि मैं शरण तिहारी । हरहु सकल मम विपदा भारी।।
धन्य धन्य बढ़ भाग्य हमारो। पावे दरस परस तव न्यारो।।
कर्महीन अरु बुद्धि विहीना। तव प्रसाद कछु वर्णन कीन्हा।।

दोहा

श्रद्धा के यह पुष्प कछु। चरणन धरि सम्हार।।
कृपासिंधु गुरुदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार।।

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