जानें कब है आषाढ़ अमावस्या
प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार आषाढ़ अमावस्या 2024 तिथि की शुरुआत 5 जुलाई सुबह 4.57 बजे से हो रही है और यह तिथि 6 जुलाई सुबह 4.26 बजे तक रहेगी। उदया तिथि में आषाढ़ अमावस्या का स्नान दान पूजा पाठ पांच जुलाई शुक्रवार को होगा।आषाढ़ अमावस्या स्नान मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आषाढ़ अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान का शुभ मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से पूर्व है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04.08 बजे से सुबह 05.29 बजे तक है। ये भी पढ़ेंः Aashadh Navratri: कब शुरू हो रही आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, जानिए घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त, शुभ योग, महत्व और मां की सवारी
आषाढ़ अमावस्या दान का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ अमावस्या के दिन दान का शुभ मुहूर्त सुबह 07.13 बजे से सुबह 08.57 बजे तक है। इसके बाद सुबह 08.57 बजे से सुबह 10.41 बजे तक दान करना उत्तम रहेगा। दान का अभिजीत मुहूर्त शुक्रवार 5 जुलाई सुबह 11.58 बजे से दोपहर 12.54 बजे तक है।
इस दिन इस समय करें श्राद्ध-तर्पण पितृ दोष होगा दूर
आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार आषाढ़ अमावस्या को पितरों के निमित्त पूजा और पिंडदान, श्राद्ध तर्पण करना शुभ फल देने वाला होता है। इस दिन सुबह स्वच्छ वस्त्र पहनकर पितरों की प्रसन्नता के लिए हाथ में कुश की पवित्री लें और तिल जल से पितरों को तर्पण करें। इससे पितृ संतुष्ट होते हैं और पितृ दोष दूर होता है।आषाढ़ अमावस्या का महत्व
आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों के देव अर्यमा की पूजा की जाती है, मान्यता के अनुसार वे इंद्र देव के भाई हैं। पितृ दोष दूर करने के लिए अमावस्या पर अर्यमा की पूजा की जाती है। इसके लिए अमावस्या के दिन स्नान के बाद पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है और उसे जल अर्पित किया जाता है। इससे व्यक्ति को देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। पितरों की नाराजगी दूर होने से परिवार की तरक्की होती है और संतान प्राप्ति में बाधा समेत कई अन्य समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।आषाढ़ अमावस्या पर जरूर करें यह काम
- अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करने फिर सूर्यदेव को अर्घ्य देने का विधान है।
- इस दिन सुबह पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए।
- अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों को तर्पण कर, जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करना चाहिए।
- अमावस्या की शाम को पीपल के पेड़ में दीपक जलाना चाहिए और शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनका दर्शन पूजन करना चाहिए।