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Arjun Son Iravan: कौन था इरावण, जिसके लिए श्रीकृष्ण को धारण करना पड़ा मोहिनी रूप

Arjun son Iravan: महाभारत में इरावण का बलिदान पांडवों की जीत के लिए विशेष महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसलिए इरावण की दक्षिण भारत में विशेष रूप से पूजा भी की जाती है।

जयपुरDec 06, 2024 / 11:18 am

Sachin Kumar

Arjun Son Iravan

Arjun Son Iravan: महाभारत महाकाव्य में कई ऐसी विचित्र घटनाओं का उल्लेख मिलता है। जिससे समस्त मानव जाति में साहस, कर्तव्य, बलिदान और आत्मसमर्पण का भाव जाग्रत होता है। इरावण की कहानी भी मानव समाज के लिए प्रेरणादायक है। आइए जानते है कौन था योद्ध इरावण और श्रीकृष्ण ने क्यों इसके लिए क्यों धारण किया मोहिनी रूप?

पिता की जीत के लिए इरावण की कुर्बानी

महाभारत के अनुसार इरावण अर्जुन और नागकन्या उलूपी का पुत्र था। मान्यता है कि यह वीर और त्यागी योद्धा था। जब कौरव और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध चल रहा था तो उस दौरान निर्णायक जीत के लिए कुछ धार्मिक अनुष्ठानों और बलिदानों आश्यकता पड़ी थी। मान्यता है कि इस बीच पांडवों की जीत सुनिश्चित करने के लिए नरबलि की मांग की गई थी। इस बलि में एक योद्धा को स्वयं अपनी इच्छा से अपना जीवन दान करना होता था।
कहा जाता है कि जब नरबलि की मांग सामने आई तो पांडवों के शिविर में सन्नाटा पसर गया। कोई भी इस बलिदान को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। लेकिन ऐसे समय में इरावण ने स्वयं को प्रस्तुत किया। उसने अपने पिता अर्जुन और पांडवों की जीत के लिए स्वेच्छा से अपनी बलि दे दी। इरावण का यह निर्णय अद्वितीय साहस और समर्पण का प्रतीक है।

श्रीकृष्ण ने इसलिए धारण किया था मोहिनी रूप

इरावण ने अपनी बलि देने से पहले अंतिम इच्छा व्यक्त की थी। वह मृत्यु से पहले विवाह करना चाहता था। जिससे वह वैवाहिक जीवन के सुख का अनुभव कर सके। मान्यता है कि इरावण की इस इच्छा को पूरा करने के लिए भगवान कृष्ण ने मोहिनी का रूप धारण कर उससे विवाह किया था। इसके बाद इरावण ने अपनी नरबलि दी।
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