धर्म शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज अगर गलती से किसी के प्राण हर लेते हैं तो वे उसे पुनः वापस लौटा भी देते हैं। इसलिए कहा जाता है कि किसी भी मतृक का अंतिम संस्कार करने में बहुत जल्दबाजी नहीं करना चाहिए।
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– अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के 2 घंटे पहले मृत्यु हो गई हो, अर्थात दिन में तो उनके शव का अंतिम संस्कार 9 घंटे के अदंर करने से उनकी आत्मा को मुक्ति मिल जाती है।
– अगर किसी की मृत्यु रात में हुई है तो उसका अंतिम संस्कार सुबह 10 बजे तक कर देना चाहिए।
– अगर किसी की मौत सूर्य के दक्षिणायन होने पर, कृष्ण पक्ष, पंचक या रात्रि में हुई हो तो इसे दोष माना जाता है। इसलिए शव को जलाने से पहले किसी रिश्तेदार के द्वारा मृतक के निमित्त बटुक ब्राह्मणों को भोजन कराना या भोजन सामग्री का दान करके, व उस दिन उपवास रहकर इस दोष का निवारण कर अंतिम संस्कार कि क्रिया समपन्न करना चाहिए, इससे मृतक की आत्मा को मुक्ति मिल जाती है।
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– अगर मृतक की पत्नी या घर परिवार की कोई महिला गर्भवती है तो उसे अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होना चाहिए।
– अंत्येष्ठी संस्कार के समय शव का सिर दक्षिण दिशा की तरफ रखना चाहिए, क्योंकि दक्षिण की दिशा मृत्यु के देवता यमराज की मानी गई है, इस दिशा में शव का सिर रख हम उसे मृत्यु के देवता को समर्पित कर देते हैं।
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– अंतिम संस्कार के बाद मृतक की अस्थियां एवं पूरी राख को किसी भी पवित्र नदियों में प्रवाहित करने से उस आत्मा के ज्ञात-अज्ञात पापों का नाश होने के साथ उस आत्मा को आगे का नवीन मार्ग मिलने लगता है।
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