त्रेतायुग में देवी महालक्ष्मी ने सीता माता के रूप में एवं श्रीनारायण ने राम जी के रूप अवतार लिया था। इसी काल में हनुमान जी की सेवा से प्रसन्न होकर हनुमानजी को अजर अमर रहने का वरदान दिया था। इसलिए वे आज कलयुग में भी सबसे सक्रिय देवताओं में से एक है। शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन ही रामायुग अर्थात त्रेतायुग का आरंभ हुआ था जो हनुमान जी को सबसे अधिक प्रिय था। इसलिए आज भी अक्षय तृतीया के दिन राम-सीता एवं हनुमान जी के निमित्त जो भी पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं हनुमान जी उनकी सभी मनोकामना पूरी कर उनके सारे संकट दूर हो करते हैं।
करें यह उपाय
हनुमान जी के आराध्य भगवान श्रीराम जो कि विष्णु जी के अवतार हैं उनका वास पीपल वृक्ष में भी होता है। इसलिए यह पेड़, इसके फल और इसके पत्ते श्री हनुमान जी को अति प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय ततृीया के दिन भगवान लक्ष्मीनारायण की विशेष पूजा करन से जीवन में प्राप्त होने वाला धन, वैभव, यश, कीर्ति का कभी क्षय नहीं होता।
इस दिन महाबली हनुमान जी को प्रसन्न कर, कभी क्षय होने वाली उनकी कृपा पाने के लिए अक्षय तृतीया के दिन सूर्यास्त के समय पीपल के पेड़ की पूजा एवं पेड़ के नीचे मिट्टी के नए दीपक या आटे के बने 11 दीपक जलाकर श्रीहनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से बजरंग बली महाराज की कृपा सदैव बनी रहती है।
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