गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्तः सुबह 05:40 बजे से 10:10 बजे तक
घटस्थापना मुहूर्त की अवधिः 04 घंटे 30 मिनट घटस्थापना अभिजित मुहूर्तः सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त की अवधिः 00 घंटे 54 मिनट (घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।)
त्रिपुष्कर योगः रविवार 7 जुलाई, सुबह 04:26 बजे से सुबह 04:48 बजे तक
साल में आती हैं 4 नवरात्रि
हर साल 4 नवरात्रि आती है, इनमें से दो नवरात्रि प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष मानी जाती है। प्रत्यक्ष नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि और अश्विन नवरात्रि (शारदीय नवरात्रि) में गृहस्थ माता की प्रतिमाओं का स्थापना करते हैं और माता पार्वती के 9 स्वरूपों यानी मां शैलपुत्री, कात्यायनी आदि नवदेवियों की पूजा की जाती है। वहीं दो नवरत्रि अप्रत्यक्ष होती हैं, जिन्हें गुप्त नवरात्रि कही जाती है। यह नवरात्रि माघ और आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।गुप्त नवरात्रि में मां पार्वती की 10 महाविद्याओं (मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी) की साधना की जाती है। आमतौर पर गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और अन्य लोग साधना करते हैं। इस समय गुप्त साधना से बड़ी से बड़ी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। तंत्र मंत्र की सिद्धियां प्राप्त होने से लोगों की मनोकामना पूरी होती है।
गुप्त नवरात्रि का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्रि के अधिकांश रीति-रिवाज और अनुष्ठान शारदीय नवरात्रि की तरह ही हैं। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की साधना से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर परिवार में सुख-समृद्धि, आरोग्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में साधना गुप्त रीति से की जाती है, यदि कोई साधक अपनी साधना को किसी दूसरे व्यक्ति को बता देता है तो उसकी पूजा का फल नष्ट हो जाता है।दस दिन की नवरात्रि
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि विशेष है, यह नवरात्रि दस दिन की है। इसकी वजह है इस नवरात्रि में चतुर्थी तिथि की वृद्धि हो रही है। इसलिए आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 9 दिन की नहीं बल्कि 10 दिनों की होगी। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत रविवार 6 जुलाई 2024 से हो रही है और गुप्त नवरात्रि का समापन सोमवार 15 जुलाई 2024 को होगा। विशेष बात यह है कि आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा शनिवार को पुनर्वसु नक्षत्र में शुरू होगा, इससे छत्र योग बनेगा। छत्र योग में नवरात्रि शुभ मानी जाती है।क्या है मां की सवारी (Maa durga ki savari)
मान्यता है कि हर नवरात्रि मां दुर्गा धरती पर आती हैं और नौ दिन तक भक्तों के बीच रहकर उनकी पूजा स्वीकार करती हैं और फिर अपने लोक को वापस लौटती हैं। खास बात यह है कि मां दुर्गा किसी न किसी वाहन से धरती पर आती हैं और किसी वाहन से ही अपने लोक को लौटती हैं। इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा अश्व से धरती पर आएंगी।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब माता घोड़े पर सवार होकर आती है तो देश दुनिया में उपद्रव और अराजकता देखने को मिलती है। इससे जनता में असंतोष बढ़ता है। वहीं वर्षा की अधिकता होगी जो फसल के लिए किसानों के लिए शुभ होगा।