संवत्सर का नाम : परिधावी
शाके संवत् : 1941
हिजरी संवत् : 1441,
मु.मास: सफर-13
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : शरद्
मास : आश्विन
पक्ष : शुक्ल आज की तिथि (today’s date)
पूर्णिमा तिथि रात्रि 2.38 तक, तदुपरान्त कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा प्रारंभ हो जाएगी। आज शरद् पूर्णिमा भी है। पूर्णिमा तिथि में यथा आवश्यक समस्त शुभ व मांगलिक कार्य, विवाह, देवकार्य, मंदिर-प्रतिष्ठा, पौष्टिक, वास्तु, गृहारंभ प्रवेश, यात्रा, याज्ञिक व शांति सम्बधी कार्य शुभ होते हैं। इसी प्रकार कृष्ण प्रतिपदा में भी उपरोक्त वर्णित कार्य करने योग्य हैं।
उत्तराभाद्रपद ‘ध्रुव व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र प्रात:7.53 तक, तदन्तर रेवती ‘मृदु व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में विवाह, यज्ञोपवीत, देवस्थापन, घर, वास्तु व अभिषेक सम्बंधी कार्य और रेवती नक्षत्र में घर, देव मंदिर, अलंकार, विवाह, जनेऊ तथा जल व स्थल संबंधी कार्य करने चाहिए। रेवती गण्डांत मूल संज्ञक नक्षत्र भी है। अत: रेवती नक्षत्र में जन्मे जातकों की यथाविधि 27 दिन बाद जब रेवती नक्षत्र की पुनरावृत्ति हो, उस दिन नक्षत्र शांति करा देना जातकों के हित में होगा।
रवियोग नामक शक्तिशाली शुभ योग प्रात: 7.53 तक तथा इसी प्रकार सर्वार्थसिद्धि व राजयोग नामक शुभ योग भी प्रात: 7.53 तक है। आज के श्रेष्ठ चौघड़िए (Today’s Best Choghadiye)
आज प्रात:7.55 से दोपहर 12.13 तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद 1.39 से अपराह्न 3.05 तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर 11.50 से 12.36 तक अभिजित नामक श्रेष्ठमुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारंभ के लिए अत्युत्तम हैं।
चन्द्रमा सम्पूर्ण दिवारात्रि मीन राशि में है। भद्रा दोपहर बाद 1.38 तक। आज का दिशाशूल (Today’s direction)
रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार आज उत्तर दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है।
सायं 4.30 से 6.00 बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारम्भ यथा संभव वर्जित रखना हितकर है। आज का वारकृत्य कार्य
रविवार को सामान्यत: सभी स्थिर संज्ञक कार्य, राज्याभिषेक, राजसेवा, यानयात्रा, ललित कला, धातु कार्य, पशु क्रय, औषध निर्माण व प्रयोग, जड़ी-बूंटी संग्रह व उनका उपयोग, शिक्षा-दीक्षा तथा यज्ञादि-मंत्रोपदेश आदि कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।
14 अक्टूबर: गृह प्रवेश रेवती में, विवाह द्विगर्त प्रदेशीय, विपणि-व्यापारारंभ, वाहन क्रय, मशीनरी प्रा., सगाई, रोका, कूपारंभ, प्रसूतिस्नान, नामकरण आदि सभी रेवती व अश्विनी में।
15 अक्टूबर: विवाह द्विगर्त प्रदेशीय, प्रसूति स्नान, सगाई-रोका व हलप्रवहण आदि सभी अश्विनी में।
16 अक्टूबर: सगाई व रोका आदि कृतिका नक्षत्र में।
17 अक्टूबर: विवाह द्विगर्त प्रदेशीय अति आव. में रोहिणी में पर संक्रांति जन्य दोष है।
18 अक्टूबर: विवाह द्विगर्त प्रदेशीय रोहिणी पंचमी में दिवालग्न तथा मृगशिरा में (गोधूलि लग्न) व रात्रि लग्न, गृहारंभ, प्रवेश, प्रतिष्ठा, प्रसूतिस्नान, विपणि, सगाई-रोका, नामकरण, अन्नप्राशन व कूपारंभ आद के रोहिणी नक्षत्र में शुभ मुहूर्त है।
19 अक्टूबर: विवाह द्विगर्त प्रदेशीय (अति आव. में मृत्यु पंचक दोष) तथा विपणि-व्यापारारंभ आदि के मृगशिरा नक्षत्र में।
13 अक्टूबर: सत्यपूर्णिमा व्रत, शरद् पूर्णिमा, पंचक, कोजागरी व्रत, कार्तिक स्नान प्रारंभ, जैन ओली समाप्त, श्री बाल्मीकि जयंती, मेला सालासर बालाजीधाम, मेला शरद् 15 दिन का प्रारंभ (धौलपुर), कुबेर व लक्ष्मी पूजा (बं. में) तथा गंडमूल प्रात: 7.53 से।
15 अक्टूबर: अशून्य शयन व्रत, गुरु रामदास जयंती (प्रा. मत से) तथा गंडमूल दोपहर 12.30 तक।
16 अक्टूबर: विश्व खाद्य दिवस तथा भद्रा सायं 6.17 से।
17 अक्टूबर: कार्तिक संक्रांति सूर्यदेव तुला में प्रवेश रात्रि 1.02 पर , पुण्यकाल शुक्रवार 18 अक्टूबर को करवा (करक) चौथ व्रत, चंद्रोदय जयपुर में रात्रि 8.27 पर तथा दशरथ चतुर्थी।
18 अक्टूबर: संक्रांति पुण्य काल पूर्वाह्न में तथा रोहिणी व्रत (जैन)।
19 अक्टूबर: चेहलम (मु.)।