समय : 06:23:22 से 10:11:54 तक
अवधि : 03 घंटे 48 मिनट घटस्थापना के नियम Rules of Ghatasthapana
: दिन के एक तिहाई हिस्से से पहले घटस्थापना की प्रक्रिया संपन्न कर लेनी चाहिए
: इसके अलावा कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त (अभिजित मुहूर्त : 11:20 AM से 12:06 PM) को सबसे उत्तम माना गया है
: घटस्थापना के लिए शुभ नक्षत्र इस प्रकार हैं: पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, हस्त, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, मूल, श्रवण, धनिष्ठा और पुनर्वसु
नवरात्रि के नौ दिनों का राहुकाल: rahukal in 9 days of navratri
भारतीय ज्योतिष में नौ ग्रह गिने जाते हैं, सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु। जिसमें राहु, राक्षसी सांप का मुखिया है जो हिन्दू शास्त्रों के अनुसार सूर्य को निगलते हुए ग्रहण को उत्पन्न करता है। राहु तमस असुर है। राहु का कोई सिर नहीं है और ये आठ काले घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले रथ पर सवार हैं।
ज्योतिष में राहु काल को अशुभ माना जाता है। अत: इस काल में शुभ कार्य नहीं किए जाते है। ऐसे में हम यहां आपको नवरात्रि के नौ दिनों में पड़ने वाले राहुकाल के समय को बता रहे हैं, जिसे देखकर आप अपना दैनिक कार्य कर सकते हैं।
दिनांक : दिन तिथि – राहुकाल
17 अक्टूबर 2020 : नवरात्रि दिन 1, प्रतिपदा – 08:50:21 से 10:16:43 तक
18 अक्टूबर 2020 : नवरात्रि दिन 2, द्वितीया-16:01:30 से 17:27:41 तक
19 अक्टूबर 2020 : नवरात्रि दिन 3, तृतीया – 07:24:39 से 08:50:40 तक
20 अक्टूबर 2020 : नवरात्रि दिन 4, चतुर्थी – 14:34:16 से 16:00:07 तक
21 अक्टूबर 2020 : नवरात्रि दिन 5, पंचमी – 11:42:24 से 13:08:05 तक
22 अक्टूबर 2020 : नवरात्रि दिन 6, षष्ठी – 13:07:45 से 14:33:16 तक
23 अक्टूबर 2020 : नवरात्रि दिन 7, सप्तमी – 10:16:47 से 11:42:07 तक
24 अक्टूबर 2020 : नवरात्रि दिन 8, अष्ठमी – 08:51:40 से 10:16:50 तक
25 अक्टूबर 2020 : नवरात्रि दिन 9, नवमी – 15:56:52 से 17:21:51 तक
26 अक्टूबर 2020 : दशमी – 07:27:18 से 08:52:08 तक
यहां जानें नवरात्रि के पहले दिन : घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री :
: सप्त धान्य (7 तरह के अनाज)
: मिट्टी का एक बर्तन जिसका मुंह चौड़ा हो
: पवित्र स्थान से लायी गयी मिट्टी
: कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल)
: पत्ते (आम या अशोक के)
: सुपारी
: जटा वाला नारियल
: अक्षत (साबुत चावल)
: लाल वस्त्र
: पुष्प (फ़ूल)
घटस्थापना विधि Ghatasthapana Vidhi
: सर्वप्रथम मिट्टी के बर्तन में रख कर उसमें सप्त धान्य को रखें।
: अब एक कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बाँधकर उसे उस मिट्टी के पात्र पर रखें।
: अब कलश के ऊपर अशोक अथवा आम के पत्ते रखें।
: अब नारियल में कलावा लपेट लें।
: इसके उपरान्त नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रखें।
: घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान किया जाता है।
पूजा संकल्प मंत्र
नवरात्र में 9 दिनों तक व्रत रखने वाले देवी माँ के भक्तों को निम्नलिखित मंत्र के साथ पूजा का संकल्प करना चाहिए:
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे
आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु
अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः
अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।
ध्यान रहे : मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। इस मंत्र में कई जगह अमुक शब्द आया है। जैसे- अमुकनामसम्वत्सरे, यहाँ पर आप अमुक की जगह संवत्सर का नाम उच्चारित करेंगे। यदि संवत्सर का नाम सौम्य है तो इसका उच्चारण सौम्यनामसम्वत्सरे होगा। ठीक ऐसे ही अमुकवासरे में उस दिन का नाम, अमुकगोत्रः में अपने गोत्र का नाम और अमुकनामाहं में अपना नाम उच्चारित करें।
यदि नवरात्र के पहले, दूसरे, तीसरे आदि दिनों के लिए उपवास रखा जाए, तब ऐसी स्थिति में ‘एतासु नवतिथिषु’ की जगह उस तिथि के नाम के साथ संकल्प किया जाएगा जिस तिथि को उपवास रखा जा रहा है। जैसे – यदि सातवें दिन का संकल्प करना है, तो मंत्र इस प्रकार होगा:
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे,
अमुकनामसम्वत्सरे आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि सप्तम्यां तिथौ
अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन्
अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।
ऐसे ही अष्टमी तिथि के लिए सप्तम्यां की जगह अष्टम्यां का उच्चारण होगा।
षोडशोपचार पूजा के लिए संकल्प
यदि नवरात्रि के दौरान षोडशोपचार पूजा करना हो तो नीचे दिए गए मंत्र से प्रतिदिन पूजा का संकल्प करें:
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे
आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे नवरात्रपर्वणि अखिलपापक्षयपूर्वकश्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये अमुकगोत्रः
अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः षोडशोपचार-पूजनं विधास्ये।
नवरात्रि के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की आराधना
नवरात्रि व्रत नियम के अनुसार, घटस्थापना के पश्चात् पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। कलश स्थापना के बाद मां का आवाह्न किया जाता है। मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और नवदुर्गा का पहला स्वरूप हैं।
शारदीय नवरात्रि तिथि 2020…
पहला दिन- प्रतिपदा- मां शैलपुत्री
दूसरा दिन- द्वितीया- मां ब्रह्राचारिणी
तीसरा दिन- तृतीया- मां चंद्रघंटा
चौथा दिन- चतुर्थी तिथि- मां कूष्मांडा
पांचवा दिन- पंचमी तिथि- मां स्कंदमाता
छठा दिन- षष्ठी तिथि- मां कात्यायनी
सातवां दिन- सप्तमी तिथि- मां कालरात्रि
आठवां दिन- अष्टमी तिथि- मां महागौरी
नौवा दिन- नवमी तिथि- मां सिद्धिदात्री