सोमनाथ ज्योतिर्लिंग सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के काठियावाड़ा क्षेत्र में समुद्र किनारे स्थित है। कहा जाता है कि चंद्रमा ने भगवान शिव को आराध्य मानकर पूजा की थी, यही कारण है कि इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ गया। दरअसल, चंद्रमा का नाम एक नाम सोम है। इससे साफ है कि चंद्रमा के नाम पर ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ा है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्ण नदी के तट पर है। कहा जाता है कि इसके दर्शन से सात्विक मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। दैहिक, दैविक और भौतिक पाप नष्ट हो जाते हैं।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर अवस्थित है। यह ज्योतिर्लिंग स्वयं-भू दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। इस पवित्र स्थाना को महाकाल के नाम से जाना जाता है।
ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के किनारे मान्धाता पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से ही पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग केदारनाथ ज्योतिर्लिंग अलकानंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर स्थित है। इस पवित्र धाम का नर और नारायण की तपस्थली माना जाता है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किमी दूर स्थित है। इस मंदिर के पास भीमा नामक एक नदी बहती है, जो कृष्णा नदी में जाकर मिल जाती है। यहां स्थित शिवलिंग बहुत ही मोटा है। यही कारण है कि इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग धर्म नगरी काशी में स्थित है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने हिमालय छोड़कर इस स्थान को स्थायी निवास बनाया गया था। मान्यता है कि प्रलयकाल का भी धर्म नगरी पर कोई असर नहीं पड़ता है। बाता दें कि काशी गंगा नदी के तट पर स्थित है। काशी विश्वनाथ का मंदिर भगवान शिव का सबसे प्रिय है। बनारस के लिए कहा जाता है कि ये भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजमान है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक से 30 किमी पश्चिम गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर काले पत्थरों से बना हुआ है। बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। इस स्थान को बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार रावण तप के बल भगवान शिव को लंका ले जाने की कोशिश कर रहा था लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने के कारण भगवान शिव यहां स्थापित हो गए। यहा स्थापित शिवलिंग को कामनालिंग भी कहा जाता है।
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग लंका जाने से पहले भगवान राम ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, उस स्थाना रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात में द्वारकापुरी से लगभग 20 किमी दूर अवस्थित है। माना जाता है कि भगवान शिव के इच्छा के अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर ज्योतिर्लिंग रखा गाया है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात में द्वारकापुरी से लगभग 20 किमी दूर अवस्थित है। माना जाता है कि भगवान शिव के इच्छा के अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर ज्योतिर्लिंग रखा गाया है।
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग राजस्थान के कोटा में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को शिव को 12वां अवतार के नाम से प्रसिद्ध है। घुश्मा के मृत पुत्र को जीवित करने के लिए अवतरित प्रभु शिव ही घुमेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से जाने जाते हैं।