दहशत की ये कहानी गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर में निहित है। दरअसल, धार जिले की कुक्षी तहसील के गांवों के आसपास का इलाका नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र में आता है। साल 2017 में बांध के गेट लगने के बाद इस इलाके में नर्मदा का जलस्तर 138 मीटर तक भरता है।
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अब गांवों की ओर रुख
जून-जुलाई में नदी का बैक वाटर भरने के बाद जब जंगली इलाका डूबता है तो यहां रहने वाले अजगर अपना ठिकाना बदलकर रीहायशी क्षेत्रों का रुख कर लेते हैं और अब ये इन गांवों के घरों, खलिहानों और पेड़ों को अपना ठिकाना बना रहे हैं। गत दिनों में गांव पलासी में अजगर ने दो पक्षियों को अपना शिकार बनाया था। ग्रामीणों का मानना है कि उन्हें इन अजगरों से खासतौर पर बच्चों और पालतु जानवरों जैसे भेड़-बकरियों और मुर्गा-मुर्गियों पर हमले का खतरा बना रहता है।…तो इसलिए यहां लगातार निकल रहे अजगर
कुक्षी और डही तहसील के सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर से बाहर के 45 गांवों में अभी तक अजगर पकड़े जा चुके हैं। सरदार सरोवर बांध का बैक वाटर मार्च और अप्रैल माह में 116 से 120 मीटर के लगभग रहता है। इस दौरान नर्मदा का जलस्तर काफी नीचे रहता है और मादा अजगर अप्रैल से जून में अंडे देती हैं। यह समय बैक वाटर नर्मदा किनारे रहता है। इसके बाद जैसे ही बैक वाटर भरता है, वैसे ही अजगर के बच्चे और नर-मादा आगे की और रुख कर बस्ती में आ जाते हैं। यह भी पढ़ें- Police Transfer List : देर रात हुए IPS और लोकायुक्त के बड़े अफसरों के तबादले, EOW के साथ SPS अफसर भी बदले गए
विशेष कार्य योजना बना रहा वन विभाग
कुक्षी वन विभाग के डिप्टी रेंजर एचएस कन्नौजे का कहना है कि अजगर नर्मदा किनारे रहते हैं, पर पानी भरने के बाद वे अब बस्तियों की ओर रुख करने लगे हैं। विभाग अजगर पकड़ने को लेकर विशेष कार्ययोजना बनाने तथा प्रदेश स्तर पर विशेषज्ञों से सलाह ले रहा है।नहीं थम रहा सिलसिला
-3 माह में 64 अजगरों का हुआ रेस्क्यू, दोबारा जंगल में छोड़ा गया।-अभी तक 8 साल में अजगर मिलने का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
-अभी भी इंसानी बस्ती में अजगरों के मिलने का सिलसिला जारी है।
-डूब क्षेत्र से बाहर के गांव पिपलिया में भी लगातार निकल रहे अजगर।
-रात में घर के अंदर छुपा था 8 फीट लंबा करीब 7 किलो का अजगर।
-वन्य जीव प्रेमी कपिल गोस्वामी और वन विभाग की टीम ने किया रेस्क्यू।