गौरतलब है कि डैम को बचाने के लिए तमाम स्तर पर प्रयास किए जा रहे थे। कारम डैम ने दिल्ली से लेकर भोपाल तक हलचल मचा रखी थी। इस कारण डैम को फूटने से बचाने के लिए सेना से लेकर आईआईटी रूडक़ी और सहित तमाम इंजीनियरिंग के विशेषज्ञों की टीमों को बुलवाया गया था। रविवार सुबह जब 8.30 बजे धीरे-धीरे पानी को निकाला गया तो उम्मीद थी कि शाम तक डैम खाली हो जाएगा और गांवों में लोगों की वापसी हो सकेगी।
100 करोड़ पर फिर गया पानी दरअसल 304.44 करोड़ के कारम मध्यम सिंचाई परियोजना प्रोजेक्ट के तहत 100 करोड़ से मिट्टी की मेड़ बनाई गई थी, जिस पर पानी फिर गया है। सरकार ने इसे बचाने के लिए तीन दिन तक दिन-रात जतन किए। रविवार सुबह राहत की उम्मीद नजर भी आई, लेकिन शाम तक पानी ने रौद्र रूप धारण कर डैम को फोड़ दिया।
मंत्रियों ने किया था सर्वे डैम को खाली करने के लिए सुबह से कवायद की जा रही थी। इसके बाद दोपहर में तीनों मंत्री तुलसी सिलावट, राजवर्धनसिंह दत्तीगांव और प्रभारी मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने पूरे इलाके का हवाई सर्वे किया था। इस दौरान हालातों का जायजा लिया गया। जबकि इस हवाई सर्वे के महज कुछ घंटे के बाद हालात बिगड़ गए और डैम फूट गया।