उल्लेखनीय है कि गंगरेल बांध के निर्माण में 52 गांव डूब में आए हैं। बांध निर्माण के दौरान उन्हें उचित मुआवजा और पुर्नवास का आश्वासन देकर उन्हें अन्यंत्र हटा दिया गया, लेकिन राज्य सरकार ने आज तक उनका व्यवस्थापन नहीं किया। हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला भी दे दिया है, फिर भी जिला प्रशासन डूबान प्रभावितों के व्यवस्थापन को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा। इससे नाराज डूबान प्रभावितों ने धमतरी ब्लाक के ग्राम भानपुरी में रिक्त शासकीय घासभूमि में व्यवस्थापन तक अस्थायी रूप से बसेरा करने के लिए पहुंच गए थे। गुरूवार को प्रभावितों ने वहां अपना डेरा जमाया और दूसरे ही दिन ग्राम पंचायत की शिकायत पर नायब तहसीलदार ने प्रभावितों को वहां से खदेड़ दिया। प्रशासनिक कार्रवाई का प्रभावितों ने काफी विरोध भी किया।
निकाली रैली
निकाली रैली
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इससे नाराज डूबान प्रभावितों ने जनपद पंचायत से रैली निकाल कर न्याय की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। दोपहर 2 बजे डूब प्रभावित कलेक्टर से मिलने के लिए पहुंचे है, लेकिन शाम 5 बजे तक अधिकारी नहीं आए। ग्रामीण राशन सामग्री, थाली-बर्तन, चूल्हा चौका (CG Hindi News) लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में ही बैठे हुए है। कलेक्ट्रेट पहुंचने वालों में धनसिंग तिर्रा-कोलियारी, सूर्यकांत मंडावी बालोद, चन्द्रकांत साहू भर्रीगांव, भुनेश्वर कुंजाम विश्रामपुर, हरिशंकर मरकाम, प्रकाश, लखन सेवता, शिवनारायण, फिरतूराम आदि शामिल हैं। न्याय की लगाई फरियाद डूबान प्रभावित अमरचंद, धनपाल, नरसिंग, पंडोराम ने भूपेश सरकार से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि उनकी दशा में बिलासपुर हाईकोर्ट को दया आ गई, लेकिन जिला प्रशासन अब भी उदासीन(Dhamtari News) बना हुआ है। उनका कहना है कि जब तक कलेक्टर आकर उनकी बात नहीं सुनेंगे, वे लोग यहां से वापस लौटने वाले नहीं है।