यहां के लोग ये भी नहीं जानते कि चुनाव में कौन प्रत्याशी है, कुल कितने नेता चुनाव लड़ रहे। फिर भी यहां के मतदाताओं ने कहा कि वे लोकतंत्र के लिए 26 को मतदान करने जरूर जाएंगे। एकावारी लिखमा पंचायत का आश्रित गांव है। एकावारी से पंचायत की दूरी 10 किमी है। मुठभेड़ की घटना के बाद पत्रिका यहां ग्राउंड रिपोर्टिंग करने पहुंची। गांव के चारों ओर सन्नाटा पसरा था। एक जगह कुछ लोग इमली तोड़ रहे थे। पहले तो ग्रामीण देखते ही डर गए, लेकिन जब ग्रामीणों को बताया कि हम राजस्थान पत्रिका के रिपोर्टर हैं और आपकी मन की बात और गांव का हाल जानने पहुंचे हैं, तब ग्रामीणों ने जानकारी दी। ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव में कौन खडे़ हुए हैं, ये नहीं जानते। अब तक कोई यहां प्रचार करने भी नहीं पहुंचा है। हम वोट डालने जरूर जाएंगे।
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सोलर पैनल शोपीस
गांव में पानी के लिए एक बोर है। यहीं से पूरे ग्रामीण पानी ले जाते हैं। सोलर पैनल सिस्टम के लिए टावर लग गया है। पानी टंकी पहुंच गई है, लेकिन अबतक फिट नहीं किया गया। टूटे पुल की मरात आज तक नहीं हुई। ग्रामीण आज भी विकास के उमीद में बैठे हैं।नहीं आते कोई जनप्रतिनिधि
धमतरी जिले के अंतिम छोर के गांव एकावारी के लोगों का राजनीति और इनके प्रतिनिधियों से भी सामना नहीं हुआ। ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव हो जाता है। जीत-हार हो जाती है। विधायक-सांसद शपथ भी ले लेते हैं, लेकिन जीतने के बाद यहां विधायक-सांसद सहित अन्य जनप्रतिनिधि कभी नहीं आते। अब तक तो ऐसा ही हाल रहा है।आबादी 3 सौ, समस्याएं अनेक
यहां के युवकों ने बताया कि एकावारी की आबादी महज 300 है। मतदान करने 6 किमी दूरी तय कर मतदान केन्द्र मुंहकोट जाते हैं। बुजुर्गो को बाइक से लेकर केन्द्र तक पहुंचाते हैं। युवाओं ने कहा कि उनके गांव में सिर्फ समस्याएं ही है। अब शायद समस्याएं झेलना उनकी आदत बन गई है। ग्राम पंचायत की दूरी 10 किमी है। जरूरत के सामान लेने इसी कच्चे रास्ते से गंतव्य पहुंचते हैं। सड़क के नाम पर गड्ढे खोदकर मिट़्टी डाल दिए गए। न मुरूम डाली और न ही रोलर चलाने की जरूरत पड़ी। बारिश के दिनों में आवागमन में बड़ी परेशानी होती है। ग्रामीणों ने कहां कि वर्तमान में कच्ची सड़क किनारे फायबर केबल लगाया जा रहा है। हम पिछले दो दशक से सड़क, पुल, बिजली की मांग करते आ रहे हैं। हर बार टाइगर रिजर्व का हवाला देकर एनओसी नहीं दी जाती। इधर केबल लगाने सड़क खोदी जा रही है।