धमतरी

Kaal Bhairav: ब्रांडेड मदिरा, शुद्ध सरसों के तेल से कालभैरव बाबा का हुआ अभिषेक, मनाया जन्मोत्सव

Kaal Bhairav: उज्जैन के कालभैरव मंदिर की तर्ज धमतरी में स्थित श्री कालभैरव मंदिर में बाबा कालभैरव का जन्मोत्सव परंपरागत ढंग से मनाया गया। इस दौरान बाबा के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी…

धमतरीNov 24, 2024 / 02:15 pm

चंदू निर्मलकर

Kaal Bhairav Jayanti 2024

Kaal Bhairav: अगहन माघ शीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शनिवार को शहर के प्राचीन श्री कालभैरव मंदिर में बाबा कालभैरव का जन्मोत्सव परंपरागत ढंग से मनाया गया। इस साल भी देश के प्रसिद्ध उज्जैन कालभैरव मंदिर की तर्ज पर पूजा-अर्चना की गई। जन्मोत्सव पर सुबह 7.30 बजे मंदिर के पुजारी पंडित अभिषेक शर्मा की अगुवाई में श्रीकालभैरव बाबा का ब्रांडेड मदिरा और शुद्ध सरसों के तेल से अभिषेक किया गया।

Kaal Bhairav: बड़ी संख्या में पहुंचे भक्त

अभिषेक के दौरान बाबा की प्रतिमा के सामने काले रंग के नए कपड़े से पर्दा किया गया। इसके बाद 8.30 बजे श्रृंगार पूजन हुआ। नौ ग्रहों की शांति और अनिष्ट निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान किया गया। इसके बाद श्रीकालभैरव बाबा को दही बड़ा, इमरती जलेबी और पेड़ा का भोग लगाया गया। शाम 6 बजे महाआरती की गई, जिसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हुए।
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इस मौके पर बाबा के दर्शन के लिए सुबह से देर रात तक मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। भक्त आनंदराम साहू, अशोक देवांगन ने बताया कि पिछले कई सालों से कालभैरव बाबा के मंदिर में मत्था टेकने आ रहे हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी मनोकामना बाबा के सामने की जाती है, वह अवश्य पूरी होती है इसलिए बाबा कालभैरव के प्रति लोगों के मन में गहरी आस्था है। यहां मंगलवार और रविवार को विशेष आरती का आयोजन होता है।

सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण किया

बाबा के जन्मोत्सव पर श्रीरामचंद्र मंदिर न्यास व भक्त मंडल बाबा कालभैरव बाबा मंदिर समिति की ओर से मौली मंदिर मंदिर के बाजू में विशाल भंडारा का आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों को भोजन प्रसादी वितरण किया गया। यहां सैकड़ों भक्तों ने बाबा के दर्शन पूजन के बाद प्रसादी ग्रहण किया। देर रात तक भक्त दर्शन के लिए पहुंचते रहे।

साथ में भगवान गणेश भी विराजमान

श्रीरामचंद्र मंदिर न्यास के महासचिव सूरज तिवारी, दिग्विजय सिंह कृदत्त ने बताया कि 11वीं शताब्दी में धमतरी जिला कांकेर, बस्तर और धरमतराई के राजाओं का प्रमुख गढ़ था। जिस जगह पर आज तहसील दतर है, उसी जगह पर राज दरबार लगाकर राजा पीड़ितों की फरियाद सुनकर उनकी समस्याओं का निराकरण करते थे। संभवत: प्रदेश का यह एकलौता मंदिर है जहां एक ही परिसर में किले में माता मौली, भगवान श्रीराम, माता जानकी और भाई लक्षण सहित मंदिर के सामने श्रीकालभैरव बाबा का मंदिर है। गर्भगृह में श्रीकालभैरव बाबा के साथ ही भगवान श्रीगणेश भी विराजमान है।

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