बताया जा रहा है कि मंगलवार को ये सभी बच्चे स्कूल से लौटते समय खेलते हुए रतनजोत के फलों को खा गए। इसके बाद रात में इनकी तबियत बिगड़ने लगी। सभी को उल्टियां होने लगी। बच्चों की हालत देख परिजन घबरा गए और उनसे पूछताछ की। इस दौरान बच्चों ने बताया कि सभी ने रतनजोत के फल खाए थे। जिसके बाद आनन-फानन में बच्चों को रात में ही जिला अस्पताल में भर्ती किया गया। फिलहाल बच्चों की हालत सुधरती देख पालकों और डॉक्टरों ने भी रहत की सांस ली। डॉक्टरो ने उम्मीद जताई कि सभी बच्चे जल्द स्वस्थ होकर अपने घर लौट सकेंगे।
गौरतलब हो कि सरकार ने गांव-गांव में रतनजोत के पौधे लगवाए हैं, ताकि उससे डीजल निकाला जा सके, लेकिन ये पौधे तो बच्चों के लिए ही खतरा पैदा कर रहे हैं।
नारा था तेल खाड़ी से नहीं, बाड़ी में मिलेगा
एक दशक पहले
भाजपा सरकार के समय नारा दिया गया था कि पेट्रोल डीजल खाड़ी से नहीं अब बाड़ी से मिलेगा। रतनजोत के बीज से बायोडीजल तैयार होगा। रजनजोत का बीज खरीदी करने के लिए ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया था। तत्कालीन शासन प्रशासन के आश्वासन पर सभी ने बाड़ियों में रतनजोत के पौधों का रोपण कर दिया। अब उसी रतनजोत के पौधों का बीज खाने से छोटे बच्चे बीमार हो रहे हैं। रतनजोत के पौधों को हर साल ग्रामीण उखाड़ रहे लेकिन जगह-जगह हर साल उग रहा है। अब ये रतनजोत का पौधा जानलेवा पौधा बनता जा रहा है।