केन्द्र स्वास्थ्य मंत्रालय ने विशेषज्ञ कमेटी की सिफारिश के बाद ऐसी दवाईयों पर प्रतिबंध लगाया है। केमिस्टों ने बताया कि एफडीसी दवाईयों में दो या दो से अधिक दवाओं के मिश्रण रहती है। इसे काकटेल दवाएं भी कहा जाता है। जिन दवाईयों को प्रतिबंधित किया गया है, उनमें निमेसुलाइड व पेरासिटामोल, क्लोरफेनिरामाइन व कोडीन, सिरप, फोल्कोडाइन व प्रोमेथाजीन, एमोक्सिसिलिन व ब्रोमहेक्सिन के साथ डेक्सट्रोमेथाफिन और अमोनियम क्लोराइडमेंथाल, पेरासिटामोल के साथ ब्रोमहेक्सिन, फेनिलेक्राइन, क्लोरफेनिरामाइन व गुइफेनिरामाइन आदि दवाएं है। इसका सेवन सेहत के लिए सही नहीं है। सेहत पर खतरा बना रहता है।
नहीं हो रही मानिटरिंग धमतरी जिले में करीब 250 से ज्यादा मेडिकल स्टोर्स है। इनमें से 40 फीसदी मेडिकल ऐसी है, जिनके संचालक फार्मेसी की पढ़ाई भी नहीं की है। दूसरे के डिग्री/ लाइसेंस को किराए में लेकर मेडिकल संचालित कर रहे है। केन्द्र सरकार ने जिन दवाईयों को प्रतिबंधित किया हैं, उनकी बिक्री ऐसी दुकानों में धड़ल्ले से हो रही है। डॉक्टर भी जान बुझकर ऐसी प्रतिबंधित दवाईयों को लिखने से बाज नहीं आ रहे हैं। उधर, नियमों का पालन कराने जिन पर जिम्मा हैं, वे अधिकारी भी निगरानी के लिए बाहर नहीं निकल रहे है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो या दो से अधिक दवाओं के मिश्रण वाली कुछ दवाईयों पर प्रतिबंध लगाया है। बाजार की निगरानी के लिए गाइड लाइन का इंतजार किया जा रहा है। जैसे ही यह आएगी, मेडिकलों में दबिश देकर कार्रवाई की जाएगी। – डा. एसके मंडल, सीएमओ