यह भी पढ़ें: Weather Update: छत्तीसगढ़ में शीतलहर के हालात, 7 डिग्री पर पंहुचा रात का तापमान ठंड से नौनिहाल और बच्चे सर्दी, खांसी और निमोनिया से पीड़ित हो रहे हैं। अक्टूबर माह में निमोनिया के 26 केस मिले। दिसंबर माह में हर चौथे दिन निमोनिया का एक केस मिल रहा है। यह संख्या सिर्फ जिला अस्पताल की है। प्राइवेट अस्पतलों में भी निमोनिया पीड़ित बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार पिछले 3 महीने में जिला अस्पताल में निमोेनिया के 60 केस आए हैं, हालांकि इलाज के बाद बच्चे स्वस्थ होकर वापस घर लौटे हैं। सर्दी, खांसी, ब्रोकाइटिस समेत अन्य लक्षण वाले मरीजों का जिला अस्पताल में एंटीजन किट से जांच की जा रही है। बच्चों को श्वांस लेने में तकलीफ होने पर दवाई के साथ ही मशीन से उन्हें भाप भी दिया जा रहा है।
ओपीडी में इलाज के लिए आने वाले जरूरतमंद बच्चों को भी निशुल्क दवाई के साथ भाप दे रहे हैं। जिला अस्पताल में सितंबर माह में ब्रोकोनिमोनिया के 7, निमोनिया के 3 सिकलीन के 18, थैलेसिमिया के 10, उल्टी-दस्त के 42 मरीज भर्ती हुए हैं। नवंबर से 17 दिसंबर तक की स्थिति में निमोनिया के 30, थैलेसिमिया के 15, सिकलसेल के 21, दस्त के 11 बच्चे भर्ती हुए हैं। इनमें सीवियर निमोनिया के 10 केस भी शामिल हैं।
निमोनिया एक या दोनों फेफड़ों का संक्रमण है। यह बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण होता है। नौनिहालों में निमोनिया होने पर कफ फेफड़े में बैठ जाता है। इससे बच्चों को श्वांस लेने में दिक्कत होती है। ठंड के दिनों में बच्चों की सेहत का ध्यान रखना अतिआवश्यक है। सर्दी अधिक होने पर तत्काल डाक्टर से इलाज कराना चाहिए। डॉ अखिलेश देवांगन, शिशु रोग विशेषज्ञ