CG News: शिकारियों के गिरोह तक पहुंचे अधिकारी
गिरफ्तार
आरोपी के निशानदेही पर मंगलवार को वन विभाग और पुलिस विभाग की टीम ने रणनीति के तहत नगरी के भट्टी चौक निवासी प्रकाश नेताम के घर दबिश दी। तलाशी के दौरान टीम को 86 नग भालू के नाखून, 55 नग जिंदा पोटाश बम, बम बनाने का केमिकल, पाउडर, साल खपरी, सियार के खाल, कोटरी खाल एवं अन्य वन्य प्राणियों के अवशेष मिले।
टीम ने जब वन्य प्राणियों के अवशेष और शिकार के लिए उपयोगी सामाग्री देख दंग रह गए। फिलहाल शिकारियों की परत दर परत करतूत उजागर हो रही है। सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में शिकारियों का पर्दाफाश होने के साथ एक बड़ा खुलासा भी हो सकता है।
हर तरह का हो रहा शिकार
उदंती सीतानदी टायगर रिजर्व में सागौन सहित अन्य इमरती पेड़ों की कटाई के बाद अब इस क्षेत्र में हर तरह के वन्यजीवों का शिकार हो रहा है। 3 दिसंबर को टांगीडोंगरी के जंगल में तस्करों का पीछा करने पर उड़न गिलहरी का शिकार करने वाले शिकारियों का पर्दाफाश हुआ। उड़न गिलहरी
टाइगर रिजर्व में अच्छी आबादी पर है। ये प्राणी शिकारियों से बचने के लिए पेड़ों पर रहते हैं।
शिकारी गुलेल से इनका शिकार कर रहे। शिकारियों की गिरफ्तारी के बाद आरोपियों से शाही पंख, सींग, दांत आदि बरामद हुए थे। इसके पूर्व विलुप्त प्राजति के चिड़ियों का शिकार का खुलासा भी हो चुका है। मंगलवार की कार्रवाई में भारी मात्रा में मिले भालुओं के नाखून से स्पष्ट होता है कि
टाइगर रिजर्व में शिकारी किस हद तक शिकार कर रहे हैं।
कार्रवाई अभी जारी
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के उप निदेशक वरूण जैन ने बताया कि पूर्व में गिरफ्तार आरोपियों की निशानदेही पर टीम लगातार दबिश देकर कार्रवाई कर रही है। नगरी में बड़े मामले का खुलासा हुआ है। आरोपी के घर से भारी मात्रा में वन्यजीवों के अवशेष और बम बरामद हुआ है। आरोपी से अभी भी पूछताछ की जा रही है। आरोपी के खिलाफ वन्यप्राणी सुरक्षा अधिनियम 1972 के तहत धारा 9 और 51 के तहत कार्रवाई की जाएगी। 65 पोटाश बम जब्त बेबी एलीफेंट की मौत पोटाश बम से हुई थी। टाइगर रिजर्व में शिकारी सक्रिय हैं। लंबे समय से यहां वन्य प्राणियों का शिकार हो रहा है। पोटाश बम से शिकार करनेे का मामला सामने आने के बाद वन विभाग में भी हड़कंप मच गया है। पहले 7 और मंगलवार को 55 जिंदा पोटाश बम जब्त किया गया। इस तरह कुल 65 पोटाश बम की जब्ती तीन दिनों में हुई है।
टारगेट में जंगली सुअर
जंगल क्षेत्र के हाट-बाजारों में जंगली सुअरों के मांस की बिक्री खुलेआम होती है। नगरी, बोराई, नरहरपुर से लेकर पूरे बस्तर के हाट-बाजारों में इस मांस की बिक्री होती है। शिकारी भी जंगली सुअर को अपना टारगेट बनाते हैं। पोटाश बम जंगली सुअरों को घायल करने का सबसे सरल उपाय है। ऐसे में पोटाश बम के सहारे जंगली सुअर सहित अन्य वन्यजीव भी इस बम की चपेट में आ रहे हैं। शिकारियों को सुअर से राहत नहीं मिल रही तो अब ये अन्य वन्यजीवों का भी इसी पैटर्न पर शिकार कर रहे हैं।