Navratri 2024 : आपस में भिड़ गई थीं दो चमत्कारी देवियां, झगड़ा शांत कराने पहुंचे थे बजरंगबली
Navratri 2024 : कहा जाता है कि दोनों बहनों के बीच एक बार ऐसी तकरार हुई जिसे शांत करने के लिए बजरंग वाली और भैरव बाबा को आना पड़ गया था। इस नवरात्रि चलिए जानते है देवास कि इन देवियों के बारे में…
Navratri 2024 : देशभर में देवी-देवताओं की ऐसी कई मान्यताएं, चमत्कार या फिर उनसे जुडी कथाएं हैं जिसे जानकार हर कोई हैरान हो जाता है। मध्यप्रदेश में ऐसे कई चमत्कारी मंदिर है जो दुनियाभर में अपनी अनोखी कथाओं और मान्यताओं के लिए प्रचलित है। इसी में शामिल है एमपी का देवास जहां एक साथ माता सती के दो रूपों का वास है। यहां विराजमान दोनों देवियों को लेकर बड़ी अनोखी कथा लोगों के बीच फैली है जिसे जानकर हर कोई चौंक जाता है।
मध्यप्रदेश में मौजूद इन चमत्कारी देवियों के दर्शन के लिए नवरात्रि में भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ता है। माता के दर्शन के लिए लंबी-लंबी कतारों में घंटों तक भक्त खड़ें रहते है। कहा जाता है कि दोनों बहनों के बीच एक बार ऐसी तकरार हुई जिसे शांत करने के लिए बजरंग वाली और भैरव बाबा को आना पड़ गया था। इस नवरात्रि चलिए जानते है देवास कि इन देवियों के बारे में…
दो देवियों का वास देवास
मध्यप्रदेश के देवास जिलें में माता सती के दो रूपों का निवास है। देशभर में लोकप्रिय मां चामुंडा(Maa Chamunda) और तुलजा भवानी(Tulja Bhavani) से भक्तों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। मान्यता है कि माता के दरबार में आए भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते। सच्चे दिल से मांगी गई मुरादों को ये दोनों देवियां जरूर पूरा करती है।
माताओं को लेकर सदियों से एक कथा काफी ज्यादा प्रचलित है। कहा जाता है कि मां चामुंडा और तुलजा भवानी में किसी बात को लेकर अनबन हो गयी थी। जिसके बाद दोनों को शांत करने के लिए राम भक्त हनुमान और भैरव बाबा को आना पड़ गया था। दोनों के निवेदन पर माताएं शांत हुई और उसी अवस्था में देवास में विराजमान हो गई।
दिन में 3 बार रूप बदलती है देवी
इस मंदिर को लेकर एक अनोखी मान्यता प्रचलित। कहा जाता है कि मां चामुंडा और तुलजा भवानी एक दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। माता के इस चमत्कार को देखने के लिए रोजाना कई भक्त आते है। वहीँ नवरात्रि के दौरान माता को खुश करने के लिए श्रद्धालु उन्हें पान का बीड़ा चढ़ाते है।
माता सती के खून से हुई थी उत्पत्ति
मान्यता है कि माता सती के खून देवास में गिरे थे जिससे मां चामुंडा और तुलजा भवानी की उत्पत्ति हुई थी। इसी के चलते देवास के इस शक्ति पीठ को अर्ध शक्ति और रक्त शक्ति भी कहा जाता है।
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