दरअसल बीजेपी ने यहां वर्तमान विधायक पहाड़ सिंह कन्नौजे का टिकट काटकर सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य रहे मुरली भंवरा को टिकट दिया है। जबकि कांग्रेस ने बागली में गोपाल भोसले को प्रत्याशी बनाया है, जो मुरली भंवरा के शिष्य रहे हैं। ऐसे में गुरु और शिष्य की यह चुनावी लड़ाई देवास ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गई है। भंवरा ने भोसले को पढ़ाया बता दें कि मुरली भंवरा ने कांग्रेस के गोपाल भोसले को सरस्वती शिशु मंदिर में 6वीं क्लास तक पढ़ाया है। पुराने दिनों में दोनों ने सोचा भी नहीं होगा कि कभी उनके बीच चुनावी मुकाबला होगा। लेकिन स्कूल की क्लास से अब गुरु शिष्य चुनावी मैदान में आ गए हैं। मुरली भंवरा संघ से जुड़े रहे हैं, ऐसे में बीजेपी ने उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाया है, जबकि गोपाल भोसले कांग्रेस में सक्रियता से राजनीति करते रहे हैं।
जानें क्यों खास है बागली विधानसभा सीट बागली विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की राजनीति में खास मानी जाती रही है। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी इस सीट से आठ बार विधायक रह चुके हैं, जबकि उनके बेटे और पूर्व मंत्री दीपक जोशी भी यहां से विधायक रहे चुके हैं। हालांकि 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। लेकिन इस सीट पर बीजेपी की जीत का सिलसिला जारी है। कांग्रेस को 1998 में केवल एक बार ही बागली विधानसभा सीट पर जीत मिली। 1998 में कांग्रेस के प्रत्याशी श्याम होलनी यहां से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। ऐसे में कांग्रेस को पिछले 20 साल से अब तक यहां से जीत का इंतजार है।
कितने वोटर
6 दशक के में कांग्रेस को इस सीट पर महज एक बार ही जीत मिली। 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बागली सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला था। बीजेपी के पहाड़ सिंह कन्नौजे ने चुनाव में जीत हासिल की थी। पहाड़ सिंह कन्नौजे को चुनाव में 89,417 वोट मिले थे जबकि, कांग्रेस के कमल वासकाले के खाते में 77,574 वोट आए। पुलिस अफसर से नेता बने कन्नौजे ने यह मुकाबला 11,843 मतों के अंतर से जीता था। तब के चुनाव में बागली सीट पर कुल 2,14,439 वोटर्स थे। इनमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,11,738 थी तो, वहीं महिला वोटर्स की संख्या 1,02,696 थी। इसमें कुल 1,81,924 (86.3%) वोट पड़े। NOTA के पक्ष में 3,086 (1.4%) वोट आए। बागली सीट पहले सामान्य वर्ग के लिए सीट हुआ करती थी। लेकिन 2008 में यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो कर दी गई।