मान्यता है कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक मनोकामनालिंग के दर्शन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। महिने भर तक चलने वाले इस श्रावणी मेले में देवतुल्य श्रद्धालुओं के लिए झारखंड सरकार विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। बाबा मंदिर में जलाभिषेक के लिए शुक्रवार की देर रात से ही देवघर और भागलपुर के रास्ते कांवरियों की बड़ी संख्या चंद्र ग्रहण के बाद रात 2 बजे से ही जलार्पण के लिए कतारबद्ध हो गये थे। शनिवार सुबह 5.38बजे से ही जलार्पण प्रारंभ हुआ। महिला कांवरियों से जलार्पण शुरु हुआ,तब से लगातार जलार्पण जारी है।
कांवरियों की कतार देवघर में चिल्ड्रेन पार्क से आगे तक जा पहुंची। वहीं वासुकीनाथधाम में भी श्रद्धालुओं की लंबी कतार सुबह चाढ़े चार बजे ही शिवगंगा रोड तक जा पहुंची। बाबाधाम मंदिर में श्रद्धालु 105 किलोमीटर से जल लाकर भोलेनाथ को चढ़ा रहे हैं। सुबह से ही श्रद्धालु कतारबद्ध होने शुरु हो गए थे। इसके बारे में श्रीनाथ पंडा पुरोहित ने कहा कि देवघर को सबसे उत्तम ज्योतिर्लिंग माना गया है और ज्योतिर्लिंग अथक साधना और ताप के बाद हासिल किया जाता है। रावण को भी यह मनोकामनालिंग बड़ी कठिन परिश्रम और तप के बाद मिला। इस मनोकामनालिंग का विशेष महत्व है।
यह है वैदिक कथा
वैदिक कथाओं के अनुसार रावण के द्वारा शिवलिंग को लंका ले जाने के क्रम में यहां शिवलिंग स्थापित हो गया। दूसरी तरफ ये चिता भूमि है, क्योंकि यहां शक्ति का हृदय कट कर गिरा था। ऐसे में ये पहले से ही तय था कि देवता शिव का शक्ति से मिलाप कराने में लगे थे और कहा जाता है सभी देवताओं ने मिलकर यहां बाबा बैद्यनाथ की स्थापना की थी। यहां आने वाले भक्तों को एक साथ हृदय पीठ और मनोकामनालिंग के दर्शन होते हैं, तभी तो शिव भक्त यहां 105 किलोमीटर चलकर बाबा भोलेनाथ को जल अर्पण करने पहुंचते हैं और अपनी सारी मनोकामना पूरी करते हैं।