देहरादून

नहीं रहीं उत्तराखंड की “तीजनबाई” कही जाने वाली लोक गायिका “कबूतरी देवी”

पहाडों के घुमावदार रास्तों से आकाशवाणी के स्टूडियो तक पहुंचकर उन्होंने ऐसे गीतों को लोगों तक पहुंचाया जो उत्तराखंड की दादी-नानी अपने बच्चों को सुनाया करती थी…

देहरादूनJul 07, 2018 / 06:16 pm

Prateek

file photo of kabutri devi

(देहरादून): अपनी आवाज से पर्वतीय क्षेत्र के लोक गीतों को पहचान दिलाने वाली उत्तराखंड की लोक गायिका कबूतरी देवी का शनिवार को निधन हो गया। उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। परीवार के साथ हर वह आदमी शोकाकुल है जिन्होंने कबूतरी देवी के गीत सुने है।

 

हेलीकॉप्टर के नहीं पहुंचने से नहीं किया जा सका रेफर

बताया जा रहा है कि 73 वर्षीय कबूतरी देवी को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी जिसके बाद गुरूवार शाम उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। यहां उन्हें आईसीयू में रखा गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार शाम उनकी हालत गंभीर होने पर बेहतर इलाज के लिए उन्हें जिला अस्पताल से हायर सेंटर देहरादून रेफर किया जाना था। इसके लिए हेलीकॉप्टर का इंतजार किया गया। पर धूराचूला से हवाई पट्टी पर हेलीकॉप्टर नहीं पहुंचने के कारण उन्हें हायर सेंटर नहीं ले जाया जा सका। गंभीर हालत के चलते उन्हें दोबारा जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया। यहीं पर उनकी सांसें थम गईं और वह सुरीली आवाज हमेशा के लिए गुम हो गई।

 

राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा गया

बता दें कि कबूतरी देवी पिथौरागढ़ के सुदूर ग्रामीण अंचल क्वीतड़ ब्लॉक मूनाकोट की निवासी थीं। उन्‍होंने पर्वतीय प्रदेश के लोक गीतों को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए अद्वितीय काम किया। पहाडों के घुमावदार रास्तों से आकाशवाणी के स्टूडियो तक पहुंचकर उन्होंने ऐसे गीतों को लोगों तक पहुंचाया जो उत्तराखंड की दादी-नानी अपने बच्चों को सुनाया करती थी। उन्होंने 70 के दश्क में उस समय आकाशवाणी पर लोक गीत गाए जब कोई भी महिला लोक गायिका आकाशवाणी में गायन नहीं करती थी। 70 के दशक में आकाशवाणी के लिए उन्होंने लगभग 100 से अधिकर गीत गाएं। उन्हें उत्तराखंड की तीजनबाई के नाम से भी जाना जाता है। उनके गायन और प्रदेश के लोकगीतों का प्रचार-प्रसार करने के लिए उन्हें राष्ट्रपति सम्मान सहित कई सम्मानों से नवाजा गया। उनके गाए गए गीत आज भी लोगों के जहन में जगह बनाए हुए हैं।

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