आबकारी आयुक्त हरिश्चंद्र सेमल ने बताया है कि सरकार जो भी राजस्व लक्ष्य तय करेगी। उसे पूरा करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। उत्तराखंड में आबकारी विभाग सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले विभागों में शामिल है, क्योंकि शराब की दुकानें राजस्व पूर्ति का प्रमुख स्रोत हैं।
10 प्रतिशत तक हो सकती है वृद्धि
शराब के दामों में पिछले साल 20% तक की कमी होने के बावजूद रिहायशी इलाकों में शराब दुकान का विरोध हुआ था। हिमाचल से तुलना में उत्तराखंड में ब्रांड शराब मिल रही है, जिसके कारण तस्करी को कुछ प्रभाव हुआ है। इस साल अक्टूबर में घर में बाहर खोलने के लिए लाइसेंस देने की भी बात होती थी लेकिन इस पर खूब विवाद हुआ, जिसके बाद सरकार ने अपने फैसले को वापस ले लिया था।
शराब के दामों में पिछले साल 20% तक की कमी होने के बावजूद रिहायशी इलाकों में शराब दुकान का विरोध हुआ था। हिमाचल से तुलना में उत्तराखंड में ब्रांड शराब मिल रही है, जिसके कारण तस्करी को कुछ प्रभाव हुआ है। इस साल अक्टूबर में घर में बाहर खोलने के लिए लाइसेंस देने की भी बात होती थी लेकिन इस पर खूब विवाद हुआ, जिसके बाद सरकार ने अपने फैसले को वापस ले लिया था।
अब सरकार एक बार फिर से राजस्व बढ़ाने के लिए शराब को महंगा करने की योजना बना रही है। कहा जा रहा है कि उत्तराखंड सरकार यूपी के तर्ज पर 10% तक की वृद्धि की जा सकती है। इस बार लक्ष्य 45 करोड़ का हो सकता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शराब का महंगा होना कोई बड़ी बात नहीं है।