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उत्तराखंड सरकार ने कम किया जुर्माना…
उत्तराखंड की कैबिनेट ( Uttarakhand Cabinet ) मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि राज्य में एमवी एक्ट को लागू तो किया जाएगा पर उसमें जुर्माने की राशि कम कर दि जाएगी। जिसके अनुसार केंद्र सरकार द्धारा गाड़ी के मोडिफिकेशन पर लगाए गए भारी भरकम जुर्माने को एक लाख से घटा कर पचास हजार रुपए कर दिया गया है। इसके साथ ही अयोग्य घोषित व्यक्ति को गाड़ी ड्राइव करने पर जुर्माना दस हजार से घटाकर पांच हजार कर दिया गया है। वहीं बिना लाइसेंस वाहन चलाने पर पांच हजार रूपये के जुर्माना को घटाकर ढ़ाई हजार रुपए तक कर दिया गया है।
इसके साथ ही प्रदूषण सर्टिफिकेट और ध्वनि प्रदूषण के झंझट से पल्ला झाडते हुए राज्य सरकार ने जुर्माना राशि दस हजार से घटाकर ढाई हजार कर दी है। इसके अलावा त्रिवेंद्र रावत सरकार ने अग्निशमन, एंबुलेंस को जानबूझ कर रास्ता न देने का जुर्माना दस हजार से घटाकर पांच हजार कर दिया है। इसके अलावा गाडी में जरूरत से अधिक सवारी बैठाए जाने का जुर्माना दो सौ रुपए प्रति व्यक्ति कर दिया है। इसके साथ ही सीट बैल्ट न लगाए जाने की पेनाल्टी एक हजार रुपए कर दी है। इसके अलावा बिना लाइसेंस के ‘ड्राइविंग स्कूल’ चलाने में कोई परिवर्तन नहीं किया गया व कई अन्य धाराएं यथावत रखी गई हैं।
एआरटीओ प्रशासन अरविंद पांड ने बताया कि विशेष जांच अभियान शुक्रवार से शुरू होगा, इस दौरान दोपहिया पर ट्रिपल राइडिंग, शराब पीकर कर गाड़ी चलान, बिना हेल्मेट के वाहन चलाना, सीट बेल्ट के बिना गाड़ी चलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा विशेष जांच अभियान के दौरान राज्य में गाडियों के रजिस्ट्रेशन, ड्राइविंग लाइसेंस व प्रदूषण सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस संबंधित कागजातों में अभी परिवहन विभाग द्वारा राहत दी जाएगी। इन्हें बनवाने, अपडेट व नवीनीकरण के लिए 30 सितंबर तक का समय है। इसलिए जिन चालकों के पास यह दस्तावेज नहीं है उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदूषण सर्टिफिकेट के लिए अतिरिक्त केंद्र खोले जा रहे हैं। इससे लोगों को प्रदूषण सर्टिफिकेट बनवाने में आसानी रहे।
बता दें कि गुजरात सरकार ( Gujarat Government ) ने भी नए नियमों के तहत लगने वाले जुर्माने को कम करने का निर्णय लिया है। इसके बाद उत्तराखंड ऐसा निर्णय लेने वाला दूसरा राज्य बन गया है। ख़ास बात यह है कि दोनों ही राज्य ऐसे है जिनमें बीजेपी की सरकार है जिन्होंने केंद्र की मोदी सरकार के यातायात नियमों से किनारा कर लिया है।