AI Cameras: खूंखार जानवरों से लोगों की जान बचाएंगे ‘एआई’ कैमरे, महाराष्ट्र के बाद अब यूपी-उत्तराखंड में नया प्रयोग
AI Cameras: यूपी से सटे उत्तराखंड के क्षेत्रों में एआई कैमरे लगाए जाएंगे। इससे जंगलों से निकलकर बाहर आने वाले खूंखार जानवरों से लोगों को बचाया जा सकेगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह कार्य जिम कार्बेट पार्क से शुरू होगा।
AI Cameras: खूंखार जानवरों से लोगों की जान बचाएंगे ‘एआई’ कैमरे, महाराष्ट्र के बाद अब यूपी-उत्तराखंड में नया प्रयोग
AI Cameras: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से लैस कैमरे अब जिम कॉर्बेट, राजाजी पार्क और वन्यजीवों के लिहाज से संवेदनशील वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों को बाघ-हाथियों और अन्य खूंखार जानवरों से भी बचाएंगे। इसकी शुरुआत ढेला रेंज से सटे बासीटीला गांव से होने जा रही है। वन महकमे ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह योजना कॉर्बेट पार्क से शुरू करने की मंजूरी भी दे दी है।
जंगली जानवरों के सामने आते ही बजने लगेगा सायरन
वन्यजीव के सामने आते ही एआई कैमरे न सिर्फ सायरन बजाकर ग्रामीणों को अलर्ट कर देंगे, बल्कि वन अधिकारियों को मैसेज के साथ संबंधित वन्यजीव की फोटो भी भेज देंगे। इसके लिए एआई कैमरे पर कार्य करने वाली वैलिएंस कंपनी के तकनीशियनों के साथ बीती छह जून को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की टीम ने बासीटीला गांव का जायजा लिया था।
वैलिएंस के तकनीशियनों ने यहां दो स्थान एआई कैमरे लगाने के लिए चिह्नित किए हैं। सीटीआर के उप निदेशक दिगन्थ नायक ने बताया कि एआई कैमरे का यह प्रयोग महाराष्ट्र के ताडोबा टाइगर रिजर्व से सटे गांवों में किया जा चुका है।
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने दी मंजूरी
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ देहरादून डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि जंगली जानवरों के मूवमेंट का सटीक पता लगाने के लिए विभाग ने ग्लोबल टाइगर फोरम से करार किया है। यह फोरम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और एडवांस कैमरों की मदद से जंगली जानवरों के मूवमेंट का सटीक पता लगाएगा। बरसात के बाद फोरम अपना डेमो प्रस्तुत करेगा। इसकी अनुमति दे दी गई है। कॉर्बेट में प्रयोग सफलत होने के बाद राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी यह अपनाया जाएगा।
जंगल में ऐसे काम करेगा एआई कैमरा
एआई तकनीक वाले कैमरे में वन्यजीवों की तस्वीरें फीड की जाती हैं। कैमरे के सामने उस तस्वीर से मिलते-जुलते वन्यजीव के आने पर एआई कैमरा अपना कार्य शुरू कर देता है और साथ लगा सायरन बजने लगता है। इससे आसपास रहने वाले ग्रामीण अलर्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही यह कैमरा वन अधिकारियों के फीड किए गए मोबाइल फोन पर भी सामने आए वन्यजीव की तस्वीर भेज देता है। इससे वन्यजीव का तुरंत पता लगाया जा सकता है।
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