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लॉकडाउन खुलने का इंतजार : विसर्जन के इंतजार में पेड़ पर लटका रखी हैं अस्थियां, करनी पड़ रही है सुरक्षा

अनुमति नहीं मिलने से हरिद्वार नहीं जा पा रहे हैं मृतक के परिजन
 

दौसाApr 07, 2020 / 09:12 am

Rajendra Jain

लॉकडाउन खुलने का इंतजार : विसर्जन के इंतजार में पेड़ पर लटका रखी हैं अस्थियां, करनी पड़ रही है सुरक्षा

बांदीकुई के कौलाना ग्राम स्थित पंडाला की ढाणी में पीपल के पेड़ पर अस्थियों को लटकाते परिजन।

बांदीकुई. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन का असर संस्कृति एवं रीति-रिवाजों पर भी पड़ रहा है। क्षेत्र में कई बुजुर्गों की सामान्य मौत हो गई है। अंत्येष्टि में भी पूरा परिवार व परिचित शामिल नहीं हो पाए। तीये की बैठक भी नहीं हो पाई। इसके चलते मृतक के परिजनों को परिचित एवं रिश्तेदारों दुख की घड़ी में ढांढस तक नहीं बंधा पाए। वहीं मृतक की अस्थियों को विसर्जित करने का संकट खड़ा हो गया है। क्योंकि हरिद्वार जाने के लिए कोई साधन नहीं है। ऐसे में कई परिवारों ने तो मृतक मां या पिता की अस्थियों को पीपल के पेड़ की टहनियों पर कपड़े में लपेट कर लटका रखा है। अब शोक संतप्त ये परिवार लॉक डाउन खुलने की इंतजार में हैं। इससे इन अस्थियों को विसर्जित किया जा सके।
हिन्दू संस्कृति एंव रीति रिवाजों के अनुसार किसी मनुष्य की मौत होने पर तीये की रस्म के बाद परिवारजन अस्थियों को हरिद्वार या अन्य पवित्र सरोवर में विसर्जित करने जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है। इसके बाद नहान एवं बारहवें की रस्म अदा होती है, लेकिन वर्तमान समय में कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉक डाउन व जिला एवं राज्यों की सीमाएं सील है। रेल एवं बस सहित अन्य आवागमन के साधन बंद है। ऐसे में मौत के बाद मनुष्य की अस्थियां विसर्जित होने का इंतजार कर रही है।
ग्राम कौलाना क्षेत्र की पंडाला ढाणी निवासी पंडित मांगीलाल ने बताया कि उसकी मौसी शांति देवी का करीब पांच दिन पूर्व निधन हो गया था। अंतिम संस्कार में मात्र सात लोग शरीक हुए। धारा 144 लागू होने से तीये की बैठक नहीं हुई। अब उसकी मौसी की अस्थियों को विसर्जित करने की समस्या खड़ी हो रही है। प्रशासन को मौखिक अवगत करा दिया गया है। अनुमति नहीं मिलने से फिलहाल अस्थियों को गांव में घर से थोड़ी दूरी पर पीपल के पेड की शाखा पर कपडे में लपेट कर लटका दिया गया है। इन अस्थियों की निगरानी भी करनी पड़ रही है कि कहीं कोई पशु-पक्षी इन्हें गिरा नहीं दे। यह पीड़ा जिले में कई लोगों की है।
प्रशासन से लें अनुमति
वैसे तो कोरोना लॉकडाउन को लेकर जिले व राज्य की सीमाएं सील होने के साथ ही आवागमन पर प्रतिबंध है, लेकिन ऐसी स्थिति में यदि प्रशासन के उच्चाधिकारी आदेश दें तो कम से कम परिवार के सदस्य अपने निजी साधन से अस्थियों को विसर्जित करने के लिए जा सकते है। -राजेन्द्र कुमार मीना, थाना प्रभारी बांदीकुई
समाजसेवा का जज्बा
बांदीकुई. यदि समाजसेवा का जज्बा हो तो कोई भी राह आसान है। इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन है। ऐसे में ठेले-थड़ी चालक बेरोजगार होकर घर बैठे हुए हैं। उनके सामने राशन का संकट खड़ा हो गया है। इसको लेकर खण्डेलवाल नवयुवक मण्डल अध्यक्ष विनोद घीया ने पहले 5 दिन तक वार्डों का सर्वे कर जरुरतमंद 101 परिवारों को चिह्नित कर स्वयं बाइक पर राशन सामग्री रखकर पहुंचाई। जरुरतमंदों को 10 किलोग्राम आटा, तेल, चीनी, नमक, मीर्च, हल्दी, धनिया एवं दाल के पैकेट उपलब्ध कराए। इन परिवारों के राशन सामग्री प्राप्त कर चेहरे खिल उठे। दिनेश खण्डेलवाल सहित अन्य लोगों ने भी राशन सामग्री के वितरण में सहयोग कराया।

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