The view of the Morel dam looks beautiful from the sky विभाग के सहायक अभियंता एम.एल. मीना व कनिष्ठ अभियंता विजेन्द्र सैनी के अनुसार बांध पर शनिवार आधी रात बाद तड़के करीब एक बजे चादर चलना शुरू हो गई थी, सुबह तक करीब 6 इंच की चादर चल रही थी और दोपहर बाद यह 9 इंच तक पहुंच गई है। बांध में अब भी लगातार पानी की आवक जारी है। जिससे आने वाले कई दिनों तक बांध पर चादर चलने का अनुमान है। चादर चलने के बाद मोरेल नदी में भी पानी का बहाव शुरू हो गया है और वेस्ट वेयर से बहता हुआ नदी का पानी अब मोरेल पुलिया को भी पार कर गया है। बांध का जलस्तर रविवार शाम तक 30 फीट 9 इंच पहुंच गया है।
गौरतलब है कि मोरेल बांध का जल स्तर शनिवार दोपहर अपनी पूर्ण भराव क्षमता 30 फीट 5 ईंच तक पहुंच गया था। दोपहर को सवाई माधोपुर जिला कलक्टर, दौसा के अतिरिक्त जिला कलक्टर लोकेश कुमार मीना, एसडीएम सुनील आर्य, विकास अधिकारी योगेेश मीना, पुलिस सीओ मनराज भी मीना ने भी बांध पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। कुछ उत्साही युवा बांध की वेस्ट वेयर के नीचे उतर नहाते नजर आए।
पांच किमी पहले रोका वाहनों को
रविवार सुबह भीड़ को बढता देख पुलिस प्र्रशासन ने भी सख्ती करना शुरू कर दिया। बांध से पांच किमी पहले ही बस स्टैण्ड पर पुलिस जाप्ते को तैनात कर दिया और वहां से आगे वाहनोंं को जाने से रोक दिया। छतरी पर भी लोगों को जाने से रोक दिया गया।
रविवार सुबह भीड़ को बढता देख पुलिस प्र्रशासन ने भी सख्ती करना शुरू कर दिया। बांध से पांच किमी पहले ही बस स्टैण्ड पर पुलिस जाप्ते को तैनात कर दिया और वहां से आगे वाहनोंं को जाने से रोक दिया। छतरी पर भी लोगों को जाने से रोक दिया गया।
उद्योग मंत्री ने लिया हालात का जायजा
प्रदेश के उद्योग मंत्री परसादीलाल मीना ने भी मोरेल बांध पर पहुंच जायजा ले कर अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि बांध को और अधिक मजबूत करने के लिए राज्य सरकार द्वारा और अधिक बजट उपलब्ध कराया जाएगा।
दौसा व सवाई माधोपुर जिले के लिए लाइफ लाइन है मोरेल बांध
मोरेल बांध दौसा एवं सवाई माधोपुर जिले के सैकड़ों गांवों के हजारों किसानों के लाइफ लाईन माना जाता है। बांध का निर्माण कार्य सन 1948 में शुरू हो कर चार साल बाद 1952 में पूरा हुआ था। बांध का कैचमेंट क्षेत्र दौसा जिले में होने से इसका रख रखाव भी दौसा जिला प्रशासन के जिम्मे है। इस बांध से दो नहरें मुख्य एवं पूर्व नहरोंं द्वारा हर साल रबी की फसलों के लिए बांध में उपलब्ध पानी के आधार पर नहरों से पानी छोड़ा जाता है।
मोरेल बांध दौसा एवं सवाई माधोपुर जिले के सैकड़ों गांवों के हजारों किसानों के लाइफ लाईन माना जाता है। बांध का निर्माण कार्य सन 1948 में शुरू हो कर चार साल बाद 1952 में पूरा हुआ था। बांध का कैचमेंट क्षेत्र दौसा जिले में होने से इसका रख रखाव भी दौसा जिला प्रशासन के जिम्मे है। इस बांध से दो नहरें मुख्य एवं पूर्व नहरोंं द्वारा हर साल रबी की फसलों के लिए बांध में उपलब्ध पानी के आधार पर नहरों से पानी छोड़ा जाता है।
दौसा जिले से गुजरने वाली पूर्व नहर कुल 6705 हैक्टियर भूमि को सिचाई करती है,31.4 किमी लंबी इस नहर से दौसा जिले की 1736 हैक्टियर भूूमि सिंचित होती है। इस नहर से कुल 28 गांवों के किसानों को सिंचाई होती है। जिसमें दौसा जिले के 13 एवं सवाई माधोपुर जिले के 15 गंाव शामिल है। बांध के पानी का सबसे अधिक लाभ सवाई माधोपुर जिले की बौली एवं मलारना डूंगर तहसीलों के कुल 55 गांवों को होता है, इन गंावों की कुल 12 हजार 388 हैक्टेयर भूमि पर बांध की मुख्य नहर से सिंचाई होती है। मुख्य नहर की कुल लंबाई 28 किमी है।
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