दौसा

अरावली की पहाड़ी पर विलायती बबूल का राज

The rule of vilayati Babool julie flora on the Aravali hill: विलायती बबूल की विषझाड़ अब इतनी फैलती जा रही है कि कोई दूसरी प्रजाति के पौधे या वनस्पति को पनपने नहीं दे रही है।

दौसाDec 29, 2019 / 09:32 am

gaurav khandelwal

अरावली की पहाड़ी पर विलायती बबूल का राज

दौसा. जिले से गुजरी रही अरावली पर्वत शृंखला पर विलायती बबूल (जूली फ्लोरा) का राज है। सालों पहले हरियालीविहिन इलाकों में बोया गया विलायती बबूल की विषझाड़ अब इतनी फैलती जा रही है कि कोई दूसरी प्रजाति के पौधे या वनस्पति को पनपने नहीं दे रही है।
हरियाली की आस में लगाया गए विलायती बबूल ने ढाक, धोंक, कैर, सालर, खैरी, रोंझ, ककेड़ा, जंड के अलावा औषधीय पौधे गुग्गल, बांसा, चिरमी, ग्वारपाठा, सफेद आक, माल कांगनी, सफेद मूसली, मरोड़ फली, शतावर, गोखरू, जंगली प्याज, हडज़ुड़, जेट्रोफा, अश्वगंगा और इंद्र जैसी कई वनस्पतियों को निगल चुका है। वहीं पक्षियों की प्रजाति भी बबूल के कांटों में फंसकर घट चुकी है।
The rule of vilayati Babool julie flora on the ARAVALI hill


दौसा शहर में नीलकंठ की पहाड़ी के पीछे गणेशपुरा रोड तक विलायती बबूल फैल चुका है। सालों पहले यहां दूसरी वनस्पति भी थी, लेकिन मात्र इसका ही राज हो चुका है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जूली फ्लोरा एलीलोपैथिक सबस्टेंस नामक विषैला पदार्थछोड़ता है। इसके चलते आसपास कोई दूसरी वनस्पित नहीं पनप पाती है।
The rule of vilayati Babool julie flora on the Aravali hill

तीन दशक पहले अकाल राहत कार्यों के दौरान बोया बबूल


सेवानिवृत्त वन अधिकारी अरुण शर्मा ने बताया कि 1986-87 में अकाल राहत कार्यों के दौरान बबूल का बीज बोया गया था। उस समय वन क्षेत्र में आगे की तरफ या सड़क के समीप यह बोया गया। इसके पीछे उद्देश्य था कि कटाई करने वाले अन्य वनस्पति को नहीं काटकर बबूल को ही काटकर ले जाए। तब रसोई गैस का प्रचलन नहीं था। ग्रामीण इलाकों में लोग पेड़ काटकर ले जाते थे। इस पर रोक लगाने के लिए विलायती बबूल को लगाया। अब कटाई कम हो गईहै और बबूल पैर पसारता ही जा रहा है। उन्होंने बताया कि सर्दी के दिनों में ग्रामीण इलाकों में अवैध रूप से बबूल की बड़ी संख्या में कटाई होती है, क्योंकि जलाने के लिए लकड़ी की जरूरत अधिक पड़ती है। हालांकि एक-दो माह बाद ही यह फिर उग आता है।
प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा


विषझाड़ का शिकंजा पूरे राजस्थान पर कसता जा रहा है। यह निकम्मा पौधा प्रकृति को नुकसान तो पहुंचाता ही है। साथ ही अपराध को भी बढ़ावा देता है। कईजगह रास्तों को अवरुद्ध कर रखा है। जलस्तर भी घटा रहा है। इसका कोई लाभ भी प्रकृति को नहीं मिलता। बबूल से हरियाली को बचाने के लिए सरकार को शीघ्र उन्मूलन कार्यक्रम चलाना चाहिए।
विनौड़ गौड़ ‘मधुरÓ, पर्यावरणप्रेमी, दौसा
The rule of vilayati Babool julie flora on the Aravali hill

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