दौसा

Success Story: BSC में तीन बार फेल होने के बाद भी नहीं मानी हार, दौसा की रसना को RJS में ऐसे मिली सफलता

Judge Rasna Meena: सीनियर पास करने के बाद परिजनों के कहने पर रसना ने बीएससी में एडमिशन तो ले लिया, लेकिन रसना का मन विज्ञान की दुनिया के बजाए कानून की पढ़ाई की ओर ही भटकने लगा।

दौसाOct 28, 2024 / 07:45 pm

Anil Prajapat

रसना मीना

Dausa News: लालसोट। जीवन में हमारे द्वारा तय किए गए किसी भी लक्ष्य की प्राप्त करने के लिए लगन व कड़ी मेहनत के साथ जुनून भी होना चाहिए और इस लक्ष्य की राह में अगर एक बार नही अनेक बार बाधाएं आने के बाद भी अपने लक्ष्य को किस तरह हासिल किया जाए यह साबित किया है, लालसोट उपखण्ड के मंडावरी कस्बे की बेटी रसना मीना ने। रसना मीना ने रविवार को हाईकोर्ट द्वारा घोषित राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस के परीक्षा परिणाम में 143 अंक प्राप्त करते हुए 185वीं रैंक प्राप्त की है।
रसना मीना ने योगा एवं नेचूरोपैथी में भी मास्टर डिप्लोमा करते हुए डॉक्टर की भी उपाधि प्राप्त की है। मंडावरी कस्बे के कोठी वाली ढाणी की मूल निवासी रसना मीना के पिता श्रीफूल मीना रेलवे में सीटीआई के पद पर कार्यरत हैं। सीनियर पास करने के बाद परिजनों के कहने पर रसना ने बीएससी में एडमिशन तो ले लिया, लेकिन रसना का मन विज्ञान की दुनिया के बजाए कानून की पढ़ाई की ओर ही भटकने की वजह से वह बीएसएसी में तीन बार फेल हो गई, जिसके बाद रसना ने अपने परिवार के समक्ष जिद करते हुए एलएलबी में एडमिशन लिया। उनके परिवार से रसना पहली सदस्य है, जिसने एलएलबी किया है।

सेल्फ स्टेडी के बूते मिली सफलता

रसना मीना ने बताया कि उसने जयपुर में अकेले रहकर सेल्फ स्टडी की है। एलएलबी सेकेंड ईयर के दौरान कोराना काल होने के बाद भी वह अपने घर नहीं गई औैर फाइनल ईयर के साथ ही पहले प्रयास में साक्षात्कार तक पहुुंची थी। विभागीय व अध्ययन कार्य के अलावा कभी मोबाइल फोन का बेवजह उपयोग नही किया। फेसबुक व इस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्म से तो पूरी तरह दूर ही रही।
यह भी पढ़ें

पिता ने थामी स्टेयरिंग, बेटी संभालेगी न्याय की बागडोर, पढ़िए शिवानी की कहानी

पहला प्रयास रहा असफल

पहले प्रयास में रसना मीना साक्षात्कार तक पहुंची थी, लेकिन साक्षात्कार में सफल नही होने के बाद रसना थोड़ी निराश जरूर हुई, लेकिन कड़ी मेहनत कर दूसरे ही प्रयास में राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया। जूनियर लीगल आफिसर की वेकेंसी आने पर उसका चयन हो गया और उसे दौसा के सीएमएचओ कार्यालय में जेएलओ के पद पर नियुक्ति मिली। उन्होंने बताया कि दूसरे प्रयास में मिली इस सफलता में सीएमएचओ कार्यालय के स्टाफ का विशेष योगदान है।
यह भी पढ़ें

उदयपुर की 3 बेटियों ने कड़ी मेहनत के बाद RJS में हासिल किया मुकाम, हेड कांस्टेबल का बेटा भी बना जज

संबंधित विषय:

Hindi News / Dausa / Success Story: BSC में तीन बार फेल होने के बाद भी नहीं मानी हार, दौसा की रसना को RJS में ऐसे मिली सफलता

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.