दौसा जिले के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले राम भजन कुम्हार की मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में ट्रेनिंग चल रही है। उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा 2022 में 667वीं रैंक हासिल की थी। उन्हें यूपीएससी रैंक के अनुसार इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस की पोस्ट मिली है। राम भजन का बचपन गरीबी में गुजरा। उन्होंने दिहाड़ी मजदूर के रूप में अपना जीवनयापन किया। राम भजन कुम्हार की सफलता भरी कहानी युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
राम भजन का जन्म एक सितंबर 1988 को दौसा जिले के बापी गांव में कन्हैया लाल कुम्हार और धापा देवी के घर में हुआ। राम भजन का बचपन गरीबी में गुजरा और माता-पिता मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करते थे। स्कूली दिनों में वो खुद भी मजदूरी करते थे। राम भजन जब छोटे थे, तब उन्होंने मां के साथ दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम किया।
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रामभजन बताते है कि उनके पिताजी गांव में आइसक्रीम बेचते थे और मां नरेगा में मजदूरी करती। लेकिन, घर खर्च चलाना मुश्किल था। ऐसे उन्होंने बापी इंडस्ट्रियल एरिया में चूना पत्थर तोड़ने का काम किया। 25 टोकरी चूना पत्थर तोड़ने पर उन्हें 10 रुपए मिलते थे। लेकिन, साल 1998 में पिता को अस्थमा हो गया और कुछ समय के लिए बिस्तर पकड़ लिया। इस कारण पत्थर तोड़ने का काम छोड़ मां के साथ मजदूरी करने लगे। वो दिन में काम कर पढ़ाई का खर्च उठाते और रात में पढ़ाई करते थे।
13 साल तक की सिपाही की नौकरी
दौसा के सरकारी कॉलेज में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई के दौरान साल 2009 में राम भजन को दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी मिल गई। क्योंकि बचपन के दिनों उन्हें पुलिस में जाने का शौक था। साल 2022 में हेड कांस्टेबल बना। 13 साल सिपाही की नौकरी के दौरान जीवन आसान नहीं रहा। पत्नी को भी पढ़ने के लिए किया प्रेरित
रामभजन ने साल 2012 में स्कूल शिक्षा पूरी की। इस दौरान उनकी अंजलि से शादी हो गई, जो आठवीं तक पढ़ी थी। राम भजन ने खुद का जीवन संवारने के साथ-साथ पत्नी का भी जीवन संवारा। उन्होंने पत्नी को पढ़ने के लिए प्रेरित किया और गांव की सरकारी स्कूल से सीनियर तक रेगुलर पढ़ाई करवाई। इतना ही नहीं, ग्रेजुएशन के बाद पत्नी को b.ed भी करवाई।
8वें प्रयास में मिल गई मंजिल
इधर, दिल्ली में नौकरी के दौरान राम भजन कुम्हार ने 2015 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने सात बार प्रयास किया, लेकिन 8वें प्रयास में साल 2022 में यूपीएससी क्रैक की। रामभजन को यूपीएससी में 667 वी रैंक मिली थी। राम भजन ने पुलिस की कठिन ड्यूटी के बाद भी पढ़ाई से मन नहीं फेरा और दिल्ली में कोचिंग भी की। इसके अलावा 8 साल तक रोजाना 7-7 घंटे तक पढ़ाई की। उसी बदौलत उनका यूपीएससी में चयन हुआ।
साल 2021 में लगा था बड़ा सदमा
राम भजन साल 2015 से 2022 तक लगातार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे। लेकिन, साल 2021 में उन्हें उस वक्त बड़ा सदमा लगा, जब उनकी पढ़ाई चरम पर थी। कोविड-19 महामारी के दौरान राम भजन के पिता का निधन हो गया, जो साल 1998 से अस्थमा से पीड़ित थे। इस सदमे से वो बुरी तरह टूट गए थे। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने सपने को सच कर दिखाया।