यह सिर्फ एक राजनीतिक अपील नहीं, बल्कि एक धार्मिक और सांस्कृतिक संदेश भी है। सोशल मीडिया पर किरोड़ीलाल का यह “भिक्षाम् देहि” अंदाज तेजी से वायरल हो रहा है। उन्होंने इस अभियान को सनातन धर्म की पुरातन परंपरा से जोड़ते हुए कहा कि यह एक ऐसा भाव है जो “दाता और ग्रहीता” दोनों में आस्था का सार्थकता लाता है।
वह कहते हैं कि “भिक्षा” की इस पुरानी परंपरा में शक्ति है, और ठीक उसी तरह जैसे भारत को सशक्त और सुरक्षित बनाए रखने के लिए हर नागरिक का मत महत्वपूर्ण है, वैसे ही वह हर घर से समर्थन की भिक्षा मांग रहे हैं।
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अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस शैली में भावनाओं की अपील है जो मतदाताओं पर गहरी छाप छोड़ सकती है। कहीं-कहीं इसे एक ‘कुशल चुनावी रणनीति’ भी माना जा रहा है, जहां एक साधारण वोट की अपील को मानो भक्ति के रंग में रंग दिया गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि दौसा के मतदाता किरोड़ीलाल मीणा की इस अनोखी अपील का किस तरह जवाब देते हैं और क्या यह भावनात्मक अपील वोटों में बदलने का सामर्थ्य रखती है। क्या यह कदम बीजेपी की नैतिक ताकत को बढ़ाएगा या सिर्फ प्रचार का एक हिस्सा बनकर रह जाएगा? सबकी नज़रें दौसा पर हैं, और उपचुनाव के नतीजे इसे ज़रूर साफ करेंगे।
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