बूथवार मतगणना से पता लगा है कि हर बार की तरह इस बार सामान्य वर्ग को वोट भाजपा से टूटा है। साथ ही भाजपा के कद्दावर नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीना के भाई जगमोहन मीना को टिकट देकर एकतरफा एसटी वोट हथियाने की चाल भी कामयाब नहीं हो सकी। कांग्रेस को भी एसटी बाहुल्य बूथों पर अच्छे मत मिले। इसके चलते भाजपा आखिर तक कांग्रेस की लीड को पाट नहीं सकी।
प्रचार अभियान में मचता रहा ‘मैच फिक्सिंग’ का शोर
चुनाव की शुरुआत से ही जिले सहित प्रदेश के राजनीतिक हलकों में दौसा में ‘मैच फिक्सिंग’ होने का हल्ला मचा। कांग्रेस-भाजपा के नेताओं ने भी यह बात कही। आरोप लगे कि मुरारीलाल मीना ने डॉ. किरोड़ीलाल मीना से मैच फिक्स कर दौसा में नए चेहरे डीसी बैरवा को टिकट दिलवा दिया है। हालांकि मुरारीलाल शुरू से इस बात से इनकार करते रहे। इस बीच प्रचार अभियान में मुरारीलाल के कम सक्रिय होने पर बार-बार ‘मैच फिक्सिंग’ का शोर मचता रहा। अब परिणाम देखकर स्पष्ट हुआ है कि डीसी बैरवा की जीत में मुरारीलाल मीना चाणक्य बनकर उभरे हैं। उन्होंने अपने प्रभाव से एसटी वर्ग का अच्छा खासा वोट कांग्रेस में डलवाकर जीत तय की है। कुछ एसटी बाहुल्य गांव-ढाणी तो ऐसे भी हैं, जहां से कांग्रेस को जीत मिली है।प्रचार अभियान में भाजपा रही आगे
विधानसभा उपचुनाव के पूरे प्रचार अभियान में भाजपा आगे रही। हर तरफ भाजपा का हल्ला नजर आया। डॉ. किरोड़ीलाल मीना ने पूरे चुनाव प्रचार की कमान संभाली। इसके अलावा प्रदेश के भी दर्जनों नेताओं की टीम ने दौसा में डेरा डाले रखा। प्रत्येक समाज व संगठन की बैठक लेकर समर्थन जुटाने का प्रयास किया। प्रचार देखकर एकबारगी सवाल उठने लगा था कि कांग्रेस क्यों ठंडी पड़ी है, लेकिन परिणाम देखकर स्पष्ट हुआ है कि भाजपा शोर मचाती रह गई और कांग्रेस अंदर ही अंदर अपना काम सफलतापूर्वक कर गई। यह भी पढ़ें