वहीं मुख्यमंत्री व भाजपा आलाकमान की ओर से लगातार उपेक्षा के चलते हरिश मीना घुटन सी महसूस कर रहे थे। हाल ही भाजपा की ओर से 131 टिकट वितरण में दौसा में मात्र एक लालसोट सीट से रामबिलास मीणा को दी गई किरोड़ी का ही समर्थक ही है।
हालांकि राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि उनके दल बदलने से बीजेपी को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। लेकिन कांग्रेस में खुशी है। अब दौसा में किरोड़ी को छोडकऱ भाजपा में मीणा जाति का कोई बड़ा नेता नहीं रहा है। जबकि कांग्रेस में कई नेता हो गए हैं।
उल्लेखनीय है कि दौसा मीणा जाति बाहुल्य है। ऐसे में कांग्र्रेस इसे एसटी जाति को साधने का सफल प्रयास मान रही है। गत लोकसभा चुनाव में भी सीधे दिल्ली से टिकट लेकर आए थे और लोकसभा चुनाव लड़े थे। लेकन जीत के पीछे मोदी लहर ही बड़ा कारण माना जा रहा था। इन साढ़े चार वर्षों में भी हरीश मीना अपना प्रभाव व वजूद नहीं बना सके थे।
दौसा की पांचों विधानसभा क्षेत्रों में से लालसोट, दौसा व महुवा में इनका थोड़ा बहुत प्रभाव माना जा रहा था, लेकिन किरोड़ी के प्रभाव व पकड़ के आगे हरीश बोने साबित हो रहे थे। जानकारों के अनुसार जहां किरोड़ी का 70 प्रतिशत समर्थक हैं तो हरीश मीना के 30 प्रतिशत एक लोकप्रिय नेता के बजाए अधिकारी की छवि ज्यादा बनी हुई है।
स्थानीय भाजपा विधायकों से भी उनकी पटरी नहीं बैठ रही थी। अब महवा व बामनवास से लड़ सकते हैं चुनाव सांसद हरिशचन्द्र मीना अब महुवा या बामनवास से चुनाव लड़ सकते हैं। दौसा में सचिन पायलट का भी नाम चल रहा है। हालांकि अभी पार्टी सूत्रों ने कहां से चुनाव लड़ेंगे इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। हरीश मीना बामनवास निवासी हैं।