किले में जय भवानी नाम की एक तोप थी। जिसे आक्रमणकारियों द्वारा ले जाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन उसे ले जाने में कामयाब नहीं हो पाए। नाकामयाबी के क्रोध में उन्होंने तोप को कुएं में डाल दिया था। इस तोप को पहले कई बार कुएं के पानी में तैरता हुआ देखा गया था। किले में शीला देवी का प्राचीन मंदिर भी है। इस इलाके में देवी की इच्छानुसार सेही का शिकार करना व सांप को मारने पर पूर्णतया पाबंदी हुआ करती थी। एक बार यहां के किलेदार ने एक सांप को मार दिया गया था। जिसके परिणाम स्वरुप किलेदार का सम्पूर्ण परिवार देवी प्रकोप का शिकार हुआ था।
रहता है नाग-नागिन का जोड़ा
कस्बेवासियों के अनुसार किले में आज भी विशालकाय नाग व नागिन का जोड़ा रहता है। जिन्हें कई बार देखा गया है। लोगों का कहना है कि सार-संभाल के अभाव में किला आज पूर्ण रूप से अपना अस्तित्व खो चुका है। लोग किले के पत्थर व पट्टियों को उतार कर ले गए हैं। इसके चलते यहां केवल किले का नाम ही रह गया है।
वर्तमान में महुवा किले के भीतर तीन मंदिर एक सरकारी विद्यालय बने हुए हैं। हालांकि इन मंदिरों में लोगों की आवाजाही बनी रहती है, वहीं इस स्कूल में भी सैकड़ों बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं।