इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार मुरारी लाल मीणा ने जीत दर्ज की। दौसा सीट हारने के बाद से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि किरोड़ी लाल मीणा कब अपने पद से इस्तीफा देते हैं। उन्होंने गुरुवार को शंकराचार्य स्वामी निश्चलचंद सरस्वती के 82वें प्राकट्य महोत्सव में सार्वजनिक मंच से अपना इस्तीफा देने का एलान किया था। उनका कहना था कि उन्होंने 5 जून को ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके 20 दिन बाद उन्होंने सीएम भजनलाल शर्मा से मुलाकात कर इस्तीफा मंजूर करने का आग्रह किया था। लेकिन, सीएम शर्मा ने ऐसा करने से मना कर दिया था।
इस्तीफे पर शुरू हुई राजनीतिकिरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफे की घोषणा के बाद इस मुद्दे को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। दौसा सीट से प्रत्याशी रहे कन्हैयालाल मीणा इस पूरे मामले में एंट्री हो गई है। वह किरोड़ी लाल के समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल को पत्र लिखकर किरोड़ी लाल का इस्तीफा स्वीकार नहीं करने के लिए कहा है। सीएम को लिखे पत्र में कन्हैयालाल ने कहा कि किरोड़ी जन नेता हैं। वह लोगों की सेवा करने के लिए हमेशा आगे रहते हैं। वह पार्टी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता हैं।
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लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करते हुए कहा था कि अगर भाजपा दौसा लोकसभा सीट नहीं जीत पाई तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने और पार्टी कार्यकर्ताओं ने खूब मेहनत की थी, लेकिन हम यह सीट हार गए। लोकतंत्र में जनता का फैसला सर्वपरि होता है। प्रचार के दौरान कांग्रेस ने दुष्प्रचार किया था कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो वह संविधान को बदल देगी और आरक्षण खत्म कर देगी। जनता उनके बहकावे में आ गई और पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा।
सात में से 4 सीटें हारी भाजपा
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार करते वक्त किरोड़ी लाल ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने उन्हें प्रदेश की 25 में से सात सीटों की जिम्मेदारी सौंपी है। इन 7 सीटों में दौसा सीट भी थी। उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा एक भी सीट हार गई तो वह राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देंगे। भाजपा किरोड़ी की बताई 7 में से 4 सीटें हार गई थी।