खेलते हुए बोरवेल में गिर गई थी दो साल की बच्ची, मां और पूरा गांव प्रार्थना करता रहा
दरअसल बांदीकुई के जोधपुरिया गांव में रहने वाली कविता गुर्जर की दो साल की बेटी नीरू, अन्य बच्चों के साथ घर के नजदीक ही खेल रही थी। इस दौरान वह उस बोरवेल के नजदीक चली गई जिसे कुछ समय पहले ही खुदवाया गया था। लेकिन पानी नहीं आने के कारण उसे बंद कर दिया गया था। बोरवेल के मुहाने पर पत्थर रख दिए गए थे ताकि कोई उसमें गिर नहीं जाए साथ ही पाइप को जमीन से काफी ऊपर लाकर छोड़ा गया था।
दरअसल बांदीकुई के जोधपुरिया गांव में रहने वाली कविता गुर्जर की दो साल की बेटी नीरू, अन्य बच्चों के साथ घर के नजदीक ही खेल रही थी। इस दौरान वह उस बोरवेल के नजदीक चली गई जिसे कुछ समय पहले ही खुदवाया गया था। लेकिन पानी नहीं आने के कारण उसे बंद कर दिया गया था। बोरवेल के मुहाने पर पत्थर रख दिए गए थे ताकि कोई उसमें गिर नहीं जाए साथ ही पाइप को जमीन से काफी ऊपर लाकर छोड़ा गया था।
…और इस कारण गिर गई नीरू
लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। इन दिनों लगातार बारिश के कारण दौसा में भी काफी ज्यादा बारिश हुई। जोधपुरिया गांव में भी कई बार मूसलाधार बारिश हुई और इसी कारण बोरवेल के नजदीक का कुछ हिस्सा धंस गया। इस बारे में किसी को पता नहीं चला। कल इसी हिस्से में दो साल की नीरू खेलते हुए गिर गई। गनीमत रही कि वह पैरों की ओर से गड्ढे में गिरी, नहीं तो उसे बचाना और ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता था।
लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। इन दिनों लगातार बारिश के कारण दौसा में भी काफी ज्यादा बारिश हुई। जोधपुरिया गांव में भी कई बार मूसलाधार बारिश हुई और इसी कारण बोरवेल के नजदीक का कुछ हिस्सा धंस गया। इस बारे में किसी को पता नहीं चला। कल इसी हिस्से में दो साल की नीरू खेलते हुए गिर गई। गनीमत रही कि वह पैरों की ओर से गड्ढे में गिरी, नहीं तो उसे बचाना और ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता था।
17 घंटे तक की मशक्कत और आखिर में मिली खुशी
सूचना मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर दौड़ी। कलक्टर, एसपी मौके पर आ गए। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों को बुलाया गया। चार जेसीबी और अन्य उपकरणों की मदद से करीब तीस से पैंतीस फीट तक खुदाई की गई। करीब 17 घंटे तक बच्ची को जगाए रखना बड़ी चुनौती था। इस बीच उसे दूध, चॉकलेट, बिस्कीट भी भेजे गए। पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन दी जाती रही और विशेष कैमरों से उस पर नजर रखी गई। गुरुवार (19 सितम्बर ) सवेरे करीब दस बजे सभी के प्रयास रंग लाए और बच्ची को बाहर निकाल लिया गया।
सूचना मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर दौड़ी। कलक्टर, एसपी मौके पर आ गए। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों को बुलाया गया। चार जेसीबी और अन्य उपकरणों की मदद से करीब तीस से पैंतीस फीट तक खुदाई की गई। करीब 17 घंटे तक बच्ची को जगाए रखना बड़ी चुनौती था। इस बीच उसे दूध, चॉकलेट, बिस्कीट भी भेजे गए। पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन दी जाती रही और विशेष कैमरों से उस पर नजर रखी गई। गुरुवार (19 सितम्बर ) सवेरे करीब दस बजे सभी के प्रयास रंग लाए और बच्ची को बाहर निकाल लिया गया।
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