सन् 1981 में टूट गया था मोरेल बांध वर्ष 1981 में भारी बारिश के चलते मोरेल बांध पानी के दबाव के कारण टूट गया था। इसके बाद इस बांध में अब पहली बार इतना पानी आया है। जिला कलक्टर ने जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों को बांध पर ही ठहर कर स्थिति पर नजर रखने के निर्देश जारी किए हैं।
मोरेल नदी में भी ढाई फीट बह रहा पानी, प्रशासन ने जारी किया अलर्ट जारी मोरेल बांध अब मात्र एक फीट खाली रह गया है। जिला कलक्टर अविचल चतुर्वेदी ने जल संसाधन विभाग के अधिशाषी अभियंता एचएल मीना को भेज कर हाई अलर्ट जारी करा दिया। अधिकारी ने बताया कि 24 घंटे में बांध के ऑवर फ्लो होने की संम्भावना है। इधर लालसोट पुलिस प्रशासन भी बांध पर पहुंच गई है। अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी बांध का जायजा लेने पहुंच रहे हैं। बांध के भरने के बाद लोगों को सतर्क कर दिया गया है।
जिले के इन बांधों में आया जबरदस्त पानी जिले में बड़े बांधों की संख्या 39 के करीब है। इनमें से सबसे बड़ा बांध मोरेल बांध है। अधिशाषी अभियंता एचएल मीना ने बताया कि इस बांध के अलावा जिले के सैंथल सागर में सवा 15 फीट, सिनोली में 6, झिलमिली में 7, गेटोलाव में सवा 5 फीट, चांदराना में साढ़े 8, सिंथोली में 4, माधोसागर में 5.4, रेडिया में 4, जगरामपुरा में डेढ़, कोट में सवा दो फीट पानी की आवक हुई है। इसी प्रकार पंचायतों के बांधों में सूरजपुरा में 13 फीट, हरिपुरा में 3.9, भांकरी में 5.2 फीट, रामपुरा में 4.5, महेश्वरा में 3.10, नामोलाव में 5.10, उपरेड़ा में 1.10, समसपुर में 3 फीट पानी की आवक हो चुकी है।
सूरजपुरा बांध में भी चली चादर जिला मुख्यालय के समीपवर्ती सूरजपुरा बांध में भी बांरिश का जमकर पानी आ रहा है। 13 फीट भराव क्षमता वाले इस बांध में चादर चल रही है। बांध से बहते पानी को देखने के लिए आसपास के लोग आ रहे हैं। रुक- रुक कर हो रही से फसलों को भी काफी फायदा होगा। तेज बारिश से आमजन की परेशान भी नजर आने लगी है। लोगों का कहना है कि रिमझिम बारिश से उनका घर से निकलना दुभर हो गया है। लोगों के कामकाज अटके हुए हैं।
झमाझम बारिश के चलते स्कूल नहीं पहुंचे बालक जिलेभर में गुरुवार रात से ही बारिश का दौर चल रहा है। शुक्रवार सुबह भी बारिश का दौर रूक-रूककर चलता रहा। इसके चलते स्कूलों में बहुत कम संख्या में बच्चे पहुंचे हैं।