धीरज नागर ने बताया कि गंधक पोटाश का मिक्सचर लोहे की पाइप में डालते समय राजेंद्र प्रसाद का चेहरा, गर्दन व हाथ बुरी तरह झुलस गया। जिसे गंभीरावस्था में उप जिला चिकित्सालय लाया गया। जहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार कर हायर सेंटर के लिए रैफर कर दिया।
गौरतलब है कि पटाखे चलाने के लिए लोहे की पाइप में पोटेशियम पाउडर का मिक्सर डाला जाता है। जिससे जोरदार चोट करने पर पटाखे की आवाज धमाके के रूप में निकलती है। यह सुरक्षा के तौर पर बहुत घातक साबित हुआ है। चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. नरेंद्र मीना ने बताया कि इस तरह के पटाखों से घायल होकर अब तक दर्जन भर लोग आ चुके हैं।
कस्बे में त्योहारी सीजन से लगातार गंधक-पोटाश (ज्वलनशील पदार्थ) खुलेआम बेचा जा रहा है। बाजारों में गंधक-पोटाश जैसा ज्वलनशील पदार्थ खरीदना कोई आम वस्तु खरीदने के समान हो गया है। स्थानीय प्रशासन व पुलिस विभाग के अधिकारी भी सब देखते हुए बेखबर बने हुए हैं। दरअसल गंधक-पोटाश की खरीदारी की वजह लोहे का एक उपकरण है। जिसे लोहे के पाइप व सरिए से तैयार किया जा रहा है। इस उपकरण को गंधक व पोटाश का मिश्रण भरकर चलाया जाता है, जो युवाओं के बीच अपनी जगह बना रहा है।
इससे न केवल ध्वनि प्रदूषण होता है, बल्कि वायु प्रदूषण भी खूब फैलता है। इस उपकरण को धमाका नाम दिया गया है। इसके इस्तेमाल के बाद तेज आवाज के साथ चारों ओर धुंआ ही धुंआ फैल जाता है। इसके चलते वहां से गुजरने में भी लोगों को परेशानी होती है। आंखों में जलन के साथ सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। कस्बे की विभिन्न कॉलोनियों में शाम होते ही इन उपकरणों का इस्तेमाल शुरू होने लगता है।